KNEWS DESK – प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 25 नवंबर 2024 को शीतकालीन सत्र की शुरुआत से पहले संसद में स्वस्थ और संरचनात्मक चर्चा की उम्मीद जताई। उन्होंने कहा कि इस सत्र का महत्व विशेष है, क्योंकि यह हमारे संविधान की यात्रा के 75वें वर्ष में प्रवेश कर रहा है, जो लोकतंत्र के लिए एक ऐतिहासिक अवसर है। पीएम मोदी ने इस अवसर पर विपक्षी नेताओं और सांसदों से आग्रह किया कि वे संसद में उचित चर्चा को बढ़ावा दें और जनता की आकांक्षाओं को ध्यान में रखें।
संसद में स्वस्थ चर्चा की उम्मीद
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद के शीतकालीन सत्र की शुरुआत से पहले एक महत्वपूर्ण बयान दिया है, जिसमें उन्होंने संसद में स्वस्थ चर्चा की उम्मीद जताई है। प्रधानमंत्री ने कहा कि यह सत्र हमारे संविधान के 75 वर्षों के ऐतिहासिक सफर के संदर्भ में विशेष महत्व रखता है और हम चाहते हैं कि इस दौरान संसद में ज्यादा से ज्यादा लोग अपनी आवाज उठाएं और लोकतंत्र को सशक्त करें।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “आज से शीतकालीन सत्र की शुरुआत हो रही है और हमें उम्मीद है कि इस बार संसद का माहौल शीत रहेगा। यह सत्र कई मामलों में विशेष है क्योंकि हम संविधान के 75वें वर्ष में प्रवेश कर रहे हैं। हम चाहते हैं कि इस सत्र में स्वस्थ चर्चा हो, और जितने भी सांसद हैं, वे अपने विचारों को सत्र में योगदान के रूप में प्रस्तुत करें।”
संसद में चर्चा में अवरोध डालने वालों पर निशाना
प्रधानमंत्री ने संसद के सत्र में कुछ ऐसे तत्वों की आलोचना की, जो अपनी राजनीतिक स्वार्थ के कारण संसद में चर्चा को रोकने का प्रयास करते हैं। उन्होंने कहा, “कुछ लोग जिनको जनता ने बार-बार नकारा है, वे संसद को कंट्रोल करने का प्रयास करते हैं और चर्चा होने नहीं देते। ये लोग संसद में अव्यवस्था फैलाकर लोगों की आकांक्षाओं का गला घोंटते हैं।”
उन्होंने यह भी कहा कि ऐसे सांसदों की वजह से न केवल सदन की कार्यवाही प्रभावित होती है, बल्कि नए सांसदों के विचारों और ऊर्जा को भी दबाया जाता है। “दुर्भाग्यपूर्ण है कि कुछ लोग नए सांसदों के अधिकारों को दबोच लेते हैं और उन्हें बोलने का अवसर नहीं देते। हमें जनता की भावनाओं का सम्मान करना चाहिए,” पीएम मोदी ने कहा।
नई ऊर्जा को स्वीकार करने की आवश्यकता
प्रधानमंत्री मोदी ने यह भी कहा कि भारत के लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए, हमें नए सांसदों और उनके विचारों को सम्मान देना होगा। “संसद में कई नए लोग हैं, जो नए विचार और ऊर्जा लेकर आते हैं। हमें उनका स्वागत करना चाहिए और उनकी विचारों को बढ़ावा देना चाहिए,” उन्होंने कहा।
प्रधानमंत्री ने विपक्षी नेताओं से आग्रह किया कि वे सदन की कार्यवाही में भाग लें और लोकतंत्र के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभाएं। “मैं विपक्ष से बार-बार अनुरोध करता हूं कि वे स्वस्थ और समृद्ध चर्चा को बढ़ावा दें। कुछ विपक्षी नेता चाहते हैं कि सदन में चर्चा हो, लेकिन जिनको जनता ने नकारा है, वे उनकी भावनाओं को नहीं समझते,” पीएम मोदी ने कहा।
संसद में भारत की वैश्विक गरिमा को बल देने की अपील
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि संसद का समय देश की वैश्विक गरिमा को मजबूत करने के लिए महत्वपूर्ण होना चाहिए। उन्होंने कहा, “आज दुनिया भारत की ओर आशा और उम्मीद से देख रही है। हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हमारा संसद सत्र भारत की वैश्विक गरिमा को बढ़ाने में योगदान दे।”
उन्होंने अंत में यह भी कहा कि सदन को संविधान की गरिमा बढ़ाने, नए विचारों को समाहित करने और भारत की लोकतांत्रिक प्रक्रिया को मजबूती देने का अवसर होना चाहिए।
संसद में बदलाव की जरूरत
प्रधानमंत्री ने इस सत्र को लेकर उम्मीद जताई कि यह परिणामदायक होगा और इसमें संसद की गरिमा को बढ़ाने वाले फैसले लिए जाएंगे। उन्होंने सांसदों से आग्रह किया कि वे सदन में समय का सही इस्तेमाल करें और जनता की उम्मीदों पर खरा उतरें। “जो समय हमने गवां दिया, उसपर हमें पश्चाताप करना चाहिए और इस सत्र से उम्मीद करनी चाहिए कि यह भारत के लिए एक सफल और परिणामदायक सत्र होगा,” उन्होंने कहा।