KNEWS DESK- पश्चिम बंगाल में ओबीसी सूची को लेकर चल रहे विवाद में सुप्रीम कोर्ट 30 सितंबर से पहले सुनवाई कर सकता है। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने आज बंगाल सरकार की याचिका पर विचार करते हुए कहा कि वह दोपहर में इस मामले में आदेश जारी करेंगे। बंगाल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से अपील की है कि उनकी याचिका पर जल्द सुनवाई हो, क्योंकि कलकत्ता उच्च न्यायालय के फैसले के कारण आरक्षण के तहत होने वाली प्रवेश प्रक्रिया और सरकारी नौकरियों पर असर पड़ रहा है।
उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका
बंगाल सरकार ने उच्च न्यायालय के उस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है, जिसमें अगस्त 2023 में राज्य की ओबीसी सूची में 77 नई जातियों को शामिल करने के फैसले पर रोक लगा दी गई थी। इस फैसले के बाद से राज्य में आरक्षण से संबंधित प्रक्रियाएं बाधित हो गई हैं। सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका पर सुनवाई के लिए 30 सितंबर की तारीख तय की थी, लेकिन बंगाल सरकार ने जल्द सुनवाई की अपील की है, ताकि प्रभावित लोगों को राहत मिल सके।
क्या है पूरा विवाद?
साल 2012 में बंगाल सरकार ने राज्य में ओबीसी आरक्षण कानून के तहत 77 नई जातियों को ओबीसी सूची में शामिल किया था, जिनमें से अधिकांश जातियां मुस्लिम समुदाय की थीं। इस फैसले को उच्च न्यायालय में कुछ याचिकाकर्ताओं ने चुनौती दी थी। उनकी दलील थी कि राज्य सरकार ने यह फैसला राजनीतिक कारणों और वोट बैंक की राजनीति के चलते लिया है।
उच्च न्यायालय का फैसला
कलकत्ता उच्च न्यायालय ने इस याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार के फैसले पर रोक लगा दी। अदालत ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि राज्य सरकार ने मुस्लिम समुदाय को ध्यान में रखते हुए 77 जातियों को ओबीसी सूची में शामिल किया। अदालत ने राज्य सरकार से ओबीसी सूची में शामिल जातियों के सामाजिक और आर्थिक आंकड़े पेश करने का भी निर्देश दिया था। साथ ही अदालत ने यह भी पूछा था कि सरकारी नौकरियों में इन जातियों को किस प्रकार का प्रतिनिधित्व मिला है।
सरकार की दलील
बंगाल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में यह तर्क दिया है कि उच्च न्यायालय के आदेश के बाद बड़ी संख्या में लोग आरक्षण से बाहर हो गए हैं, जिससे उनकी नौकरी और शिक्षण संस्थानों में प्रवेश की प्रक्रिया प्रभावित हो रही है। इसी के चलते राज्य सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय से जल्द सुनवाई की अपील की है। अब सबकी नजरें सुप्रीम कोर्ट के आगामी आदेश पर हैं, जो इस मामले की आगे की दिशा तय करेगा।