KNEWS DESK, संसद के शीतकालीन सत्र का आगाज हो चुका है और 25 नवंबर से शुरू हुआ सत्र लगातार किसी न किसी मुद्दे पर बहस का केंद्र बना हुआ है। इस दौरान एक अहम बदलाव हुआ है, जिसे लेकर विपक्ष ने अपनी आपत्ति दर्ज करवाई है। अब, 18वीं लोकसभा के सदस्यों के लिए सीटों का नया आवंटन किया गया है, और साथ ही संसद में सांसदों की सीट पर उनका नाम लिखने की पहल को भी हरी झंडी दिखा दी गई है।
प्रधानमंत्री की सीट पर लगी नाम प्लेट
आपको बता दें कि लोकसभा में सीटों के आवंटन के साथ एक नई व्यवस्था शुरू की गई है। संसद की पहली सीट पर हमेशा सदन के नेता यानी प्रधानमंत्री का स्थान होता है, और इस बार सीट नंबर एक पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम की नाम प्लेट लगाई जाएगी। इसके बाद बाकी सीटों का आवंटन डिवीजन नंबर के आधार पर किया जाएगा। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अब सभी सदस्यों की सीट पर उनकी नाम प्लेट लगेगी, जिसमें उनके डिवीजन नंबर का भी उल्लेख होगा। इससे सांसदों को अपनी सीट पर बैठकर कार्यवाही में भाग लेने में आसानी होगी।
नेम प्लेट के फायदे
यह पहल लोकसभा की कार्यवाही को और अधिक व्यवस्थित बनाने के लिए की गई है। प्रत्येक सांसद की सीट पर उनका नाम लिखा हुआ होने से उन्हें व्यक्तिगत रूप से बुलाना आसान हो जाएगा और इस व्यवस्था से सदन में किसी प्रकार की अड़चन भी नहीं आएगी। साथ ही, सांसद अपनी सीट से ही अपने विचार और सवाल रख सकेंगे, जिससे कार्यवाही में गतिशीलता बनी रहेगी। हालांकि, विपक्षी पार्टियों ने इस नए बदलाव पर आपत्ति जताई है, खासकर सीटों के आवंटन को लेकर। उनका कहना है कि यह प्रक्रिया सही तरीके से नहीं की गई है और इससे विपक्षी दलों में असंतोष बढ़ सकता है।
कांग्रेस और TMC की आपत्ति
कांग्रेस पार्टी ने सीटों के आवंटन को लेकर विरोध जताया है। कांग्रेस का कहना है कि नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी को आगे की सीट दी गई है, लेकिन समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव को भी आगे की सीट दी गई है, जबकि दोनों नेताओं की सीटें एक-दूसरे से दूर हैं। कांग्रेस पार्टी का कहना है कि दोनों नेताओं को एक साथ बैठाया जाना चाहिए, ताकि विपक्ष एकजुट दिखाई दे।
वहीं, ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस (TMC) ने भी सीट आवंटन पर आपत्ति जताई है। TMC के नेता सुदीप बंदोपाध्याय को सदन में आगे की सीट दी गई है, लेकिन बाकी TMC सांसदों को केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान और जीतनराम मांझी के पीछे बिठाया गया है। सुदीप का कहना है कि उन्हें अपनी पार्टी के अन्य सांसदों से अलग क्यों बैठाया जा रहा है?
सीटों का आवंटन कैसे होता है?
लोकसभा में हर सांसद को एक डिवीजन नंबर मिलता है, जो उनकी सीट का निर्धारण करता है। यह डिवीजन नंबर वोटिंग के दौरान भी इस्तेमाल होता है, जब सभी सांसद अपने डिवीजन नंबर के आधार पर वोट डालते हैं। इलेक्ट्रॉनिक बोर्ड पर भी यह संख्या दर्शाई जाती है, हालांकि, डिवीजन नंबर गोपनीय होता है और इसके आंकड़े सार्वजनिक नहीं किए जाते।
नया बदलाव और विपक्षी प्रतिक्रिया
लोकसभा में सीट आवंटन और नाम प्लेट लगाने की यह पहल एक नया कदम है, जो सदन की कार्यवाही को सुचारु बनाने की दिशा में है। हालांकि, विपक्षी दलों की आपत्तियों के बावजूद यह कदम उठाया गया है, और संसद की कार्यवाही में सुधार की उम्मीद जताई जा रही है।