मालदीव के रक्षा मंत्री मौमून का भारत दौरा, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से द्विपक्षीय रक्षा सहयोग पर होगी चर्चा

KNEWS DESK-  मालदीव के रक्षा मंत्री मोहम्मद घासन मौमून बुधवार यानी आज भारत की तीन दिवसीय यात्रा पर आ रहे हैं। यह यात्रा भारत और मालदीव के बीच सैन्य संबंधों को और मजबूत करने के लिए महत्वपूर्ण मानी जा रही है। लगभग आठ महीने पहले भारत ने मालदीव से अपने सैन्य कर्मियों को वापस बुला लिया था, इसके बाद यह पहली बार है जब मालदीव के रक्षा मंत्री भारत आएंगे।

इस यात्रा के दौरान, रक्षा मंत्री मौमून भारतीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से नई दिल्ली में द्विपक्षीय बैठक करेंगे। मंत्रालय ने मंगलवार को बताया कि दोनों नेता मालदीव नेशनल डिफेंस फोर्स (MNDF) की क्षमता बढ़ाने के लिए विभिन्न पहलुओं पर चर्चा करेंगे। इसमें प्रशिक्षण, अभ्यास, रक्षा परियोजनाओं और रक्षा उपकरणों की आपूर्ति जैसे मुद्दों को शामिल किया जाएगा।

भारत और मालदीव के बीच रक्षा संबंधों को लेकर यह मुलाकात खास महत्व रखती है, क्योंकि भारत ने मालदीव के चीन समर्थक राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू की सरकार के अनुरोध पर लगभग 80 सैन्यकर्मियों को वापस बुला लिया था। इसके बाद दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ गया था, लेकिन इस नई यात्रा से उम्मीद जताई जा रही है कि दोनों देशों के बीच रक्षा और सैन्य सहयोग में सुधार होगा।

मालदीव के रक्षा मंत्री मौमून के भारत दौरे के दौरान वह गोवा और मुंबई भी जाएंगे, जहां वह भारतीय सेना और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों से मुलाकात करेंगे। इस दौरे के दौरान द्विपक्षीय रक्षा सहयोग को लेकर कई नई पहल हो सकती हैं, जो हिंद महासागर क्षेत्र में स्थिरता और समृद्धि लाने में मदद करेंगी।

भारत की ‘पड़ोसी प्रथम’ नीति के तहत मालदीव एक अहम साझेदार है। यह नीति हिंद महासागर क्षेत्र में भारत की प्रमुख भूमिका को मजबूती प्रदान करती है और क्षेत्रीय स्थिरता के लिए काम करती है। भारत और मालदीव के बीच रक्षा सहयोग बढ़ाने से दोनों देशों के रिश्तों को और मजबूत किया जा सकता है, खासकर चीन और पाकिस्तान के बढ़ते सैन्य दबाव के मद्देनजर।

वहीं, भारतीय वायुसेना प्रमुख ने हाल ही में चीन और पाकिस्तान की वायुसेना के बढ़ते खतरे पर चिंता जताई थी। उनका कहना था कि दोनों देशों की वायुसेनाओं का तेजी से विस्तार भारत के लिए एक रणनीतिक चुनौती बन सकता है। इस संदर्भ में भारत और मालदीव का मजबूत रक्षा सहयोग क्षेत्रीय सुरक्षा के लिहाज से महत्वपूर्ण है।

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