अखाड़ों का स्नान:
महाकुंभ के पहले अमृत स्नान की शुरुआत आज सुबह 6 बजकर 15 मिनट पर श्री पंचायाती अखाड़ा महानिर्वाणी और शंभू पंचायती अटल अखाड़े के साधु-संतों द्वारा संगम में आस्था की डुबकी लगाने से हुई। इन दोनों अखाड़ों के साधु-संतों ने सबसे पहले स्नान किया, जिससे इस महाकुंभ की शुरुआत हुई। संगम के तट पर पहुंचे इन साधु-संतों ने सनातन धर्म के ध्वज उठाए और बम-बम भोले की ध्वनि से वातावरण को गुंजायमान कर दिया।
संगम तट का अलौकिक दृश्य:
संगम तट पर आज का दृश्य अत्यंत दिव्य और भव्य है। हर तरफ साधु-संतों का जमावड़ा नजर आ रहा है, जो सनातन ध्वज और महामंत्रों के साथ स्नान करने के लिए एकत्रित हुए हैं। यह दृश्य न केवल धार्मिक महत्व का है, बल्कि श्रद्धा और आस्था का अद्भुत संगम भी है। पूरे इलाके में बम-बम भोले की गूंज सुनाई दे रही है और वातावरण में आस्था का अद्वितीय एहसास हो रहा है।
अमृत स्नान का समय:
महाकुंभ का यह पहला अमृत स्नान विशेष रूप से अखाड़ों के साधु-संतों के लिए निर्धारित किया गया था, और इसे शाम 4 बजकर 20 मिनट तक जारी रखा जाएगा। इसके बाद आम श्रद्धालु भी संगम में स्नान कर सकेंगे। इस दिन को लेकर श्रद्धालुओं में अपार श्रद्धा और उमंग देखने को मिल रही है।
धार्मिक महत्व और पुण्य लाभ:
मकर संक्रांति के दिन संगम में स्नान करने से व्यक्ति को आत्मिक शांति और पुण्य की प्राप्ति होती है। इसे विशेष रूप से शुभ और लाभकारी माना जाता है, और महाकुंभ के अवसर पर इसका महत्व और भी बढ़ जाता है। साधु-संतों के साथ-साथ लाखों की संख्या में श्रद्धालु इस पावन अवसर पर संगम में स्नान करने पहुंचे हैं। यह महाकुंभ केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि एक गहरी आस्था और विश्वास का प्रतीक है, जो हर व्यक्ति को अपने अंदर की शांति और संतुलन को महसूस करने का अवसर प्रदान करता है।
ये भी पढ़ें- जापान के क्यूशू द्वीप पर 6.9 तीव्रता का भूकंप, सुनामी की चेतावनी जारी