महाकुंभ 2025: दो-ढाई हजार साल पुरानी कलाकृतियों को देख व समझ सकेंगे श्रद्धालु, आयोजन को डिजिटल बनाने पर दिया जा रहा जोर

KNEWS DESK-  उत्तर प्रदेश में आगामी महाकुंभ 2025 के दौरान, एक अनोखा और ऐतिहासिक दृश्य देखने को मिलेगा, जहां धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहरों के साथ-साथ तकनीकी पहलुओं का भी संगम होगा। इस बार महाकुंभ केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि प्रदेश की समृद्ध संस्कृति और इतिहास का एक डिजिटल अनुभव होगा। महाकुंभ के विशेष महत्व को समझते हुए, प्रदेश सरकार और संस्कृति विभाग ने इसमें पुरातात्विक स्थलों, संग्रहालयों और कलाकृतियों की डिजिटल प्रस्तुति पर जोर दिया है।

महाकुंभ में इस बार प्रमुख देवस्थलों का संगम केवल धार्मिक दृष्टि से नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और ऐतिहासिक दृष्टिकोण से भी किया जाएगा। प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में स्थित प्राचीन स्मारकों और कलाकृतियों का एक डिजिटल संगम होगा, जिससे लोगों को प्रदेश की प्राचीन धरोहरों का वास्तविक अनुभव होगा। इन कलाकृतियों की उम्र दो से ढाई हजार साल पुरानी है, जो भारतीय इतिहास और संस्कृति के महत्वपूर्ण हिस्से का प्रतिनिधित्व करती हैं।

थ्रीडी होलोग्राफिक मॉडल और वर्चुअल रियलिटी के माध्यम से होगा ऐतिहासिक अनुभव

संस्कृति विभाग की पहल से इन ऐतिहासिक स्थलों का थ्रीडी होलोग्राफिक मॉडल तैयार किया गया है। साथ ही, वर्चुअल रियलिटी (वीआर) और ऑगमेंटेड रियलिटी (एआर) तकनीकों का उपयोग करके लोग इन स्मारकों और संग्रहालयों के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पहलुओं का वास्तविक अनुभव प्राप्त कर सकेंगे। इन तकनीकों के माध्यम से दर्शक न केवल पुराने मंदिरों, स्मारकों और मूर्तियों को देख पाएंगे, बल्कि उनके पीछे छुपे इतिहास, किवदंतियों और सांस्कृतिक महत्ता को भी महसूस कर सकेंगे।

इसके अलावा, संग्रहालयों में संरक्षित प्राचीन कलाकृतियों की 3डी स्कैनिंग भी की गई है, ताकि उन्हें विश्वभर में डिजिटल माध्यम से देखा जा सके। संस्कृति विभाग ने प्रदेश के विभिन्न संग्रहालयों में मौजूद 100 प्रमुख कलाकृतियों की स्कैनिंग की है, ताकि इनका संरक्षण किया जा सके और अधिक से अधिक लोग इनका अनुभव ले सकें। यह डिजिटल पहल महाकुंभ को न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से बल्कि सांस्कृतिक और शैक्षिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण बना रही है।

महाकुंभ को डिजिटल बनाने की दिशा में सरकार की पहल

महाकुंभ को डिजिटल बनाने की दिशा में प्रदेश सरकार ने कई कदम उठाए हैं। अब महाकुंभ से जुड़ी कई सुविधाओं को ऑनलाइन उपलब्ध कराया जाएगा, जिससे आम लोग बिना किसी कठिनाई के विभिन्न सेवाओं का लाभ उठा सकेंगे। इस पहल से महाकुंभ में आने वाले लाखों श्रद्धालुओं और पर्यटकों को अधिक सुविधा होगी।

महाकुंभ के आयोजन को लेकर प्रदेश सरकार की यह कोशिश एक नया आदर्श स्थापित करेगी, जिसमें पारंपरिक धार्मिक आयोजन को आधुनिक तकनीक के साथ जोड़ा जाएगा। महाकुंभ केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक और शैक्षिक अनुभव के रूप में उभरकर सामने आएगा।

संस्कृति और तकनीकी का अनूठा मेल

महाकुंभ के माध्यम से सांस्कृतिक धरोहरों को संरक्षित करने और उसे आम लोगों तक पहुंचाने का यह प्रयास निश्चित रूप से महत्वपूर्ण होगा। इसमें न केवल पुराने ऐतिहासिक स्थलों और कलाकृतियों का संरक्षण होगा, बल्कि उन्हें नई पीढ़ी के लिए एक आकर्षक और इंटरैक्टिव तरीके से पेश किया जाएगा। यह महाकुंभ की डिजिटल पहल आने वाली पीढ़ियों के लिए एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर के रूप में यादगार साबित होगी।

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