KNEWS DESK- कोलकाता के जघन्य रेप-मर्डर केस में सुप्रीम कोर्ट ने बंगाल सरकार की लापरवाही और एफआईआर में देरी को लेकर गंभीर टिप्पणियां की हैं। 22 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट में इस मामले पर सुनवाई के दौरान, चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कई महत्वपूर्ण बिंदुओं को उठाया और राज्य सरकार की प्रक्रिया पर सवाल उठाए।
FIR में देरी पर फटकार
सुप्रीम कोर्ट ने एफआईआर में हुई देरी को लेकर गंभीर चिंता जताई। अदालत ने बताया कि घटना की जानकारी सुबह 10:10 बजे दी गई थी, लेकिन एफआईआर रात 11:45 बजे दर्ज की गई। चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि यह प्रक्रिया विचलित करने वाली और अमानवीय है। अदालत ने बंगाल सरकार के वकील कपिल सिब्बल से इस देरी की जिम्मेदारी के बारे में सवाल किए और कहा कि इस प्रकार की देरी से महत्वपूर्ण सबूत मिट सकते हैं।
सबूतों के संरक्षित होने की चिंता
सुप्रीम कोर्ट ने मामले के दौरान घटनास्थल पर मौजूद महत्वपूर्ण सुरागों के समय पर संरक्षित न होने पर भी चिंता जताई। अदालत ने कहा कि अपराध स्थल पर आवश्यक सबूतों को सही समय पर सुरक्षित नहीं किया गया, जिससे सबूतों के मिटने का अंदेशा बढ़ गया है। चीफ जस्टिस ने कहा कि उनकी 30 साल की न्यायिक सेवाओं के दौरान उन्होंने कभी ऐसा उदाहरण नहीं देखा।
डॉक्टरों की सुरक्षा और काम पर लौटने की अपील
सुप्रीम कोर्ट ने कोलकाता के डॉक्टर्स से काम पर लौटने की अपील की और आश्वासन दिया कि उनकी सुरक्षा सुनिश्चित की जाएगी। अदालत ने कहा कि यदि डॉक्टर काम पर नहीं लौटेंगे तो सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली की कार्यक्षमता प्रभावित हो सकती है। सीजेआई ने डॉक्टरों की ड्यूटी की लंबाई और अस्पतालों की हालत पर भी चिंता व्यक्त की।
कानूनी बहस और सोशल मीडिया पर टिप्पणियां
सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और कपिल सिब्बल के बीच भी तीखी बहस हुई। मेहता ने कहा कि सरकार का हलफनामा भी सोशल मीडिया पर आधारित था, जबकि सिब्बल ने इसका विरोध किया और कहा कि हलफनामे को सही तरीके से पढ़ा जाना चाहिए।
चिकित्सा रिपोर्ट और हिंसा का मुद्दा
सुनवाई के दौरान, पोस्टमार्टम रिपोर्ट को लेकर भी चर्चा हुई, जहां एक वकील ने शव से भारी मात्रा में सीमेन मिलने की बात की थी। चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने सोशल मीडिया पर आधारित दावों को खारिज करते हुए कहा कि रिपोर्ट पर ध्यान दिया जाना चाहिए।