महाकुंभ के आकर्षण में विदेशी भक्त भी शामिल
महाकुंभ का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व केवल भारत तक ही सीमित नहीं है, बल्कि विदेशी भक्त भी इस अवसर पर संगम तट पर पहुंच रहे हैं। भारत के विभिन्न हिस्सों के अलावा विदेशों से भी श्रद्धालु कुंभ मेला में भाग लेने के लिए प्रयागराज पहुंचे हैं। इन श्रद्धालुओं की उपस्थिति ने इस महाकुंभ को और भी अंतरराष्ट्रीय बना दिया है।
जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य की टिप्पणी
महाकुंभ के पहले दिन की विशेषता में जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य ने भी अमृत स्नान किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा, “मैं बेहद खुश हूं क्योंकि मैं सभी आचार्यों के बीच पवित्र डुबकी लगाने वाला पहला व्यक्ति था। मैं राज्य सरकार की व्यवस्थाओं से प्रभावित हूं। उन्होंने यहां इतनी बड़ी भीड़ का सफलतापूर्वक प्रबंधन किया है।” स्वामी रामभद्राचार्य की इस टिप्पणी ने प्रयागराज में सरकार की व्यवस्थाओं और सुरक्षा के प्रयासों को सराहा।
आध्यात्मिक वक्ता जया किशोरी का अनुभव
महाकुंभ के इस आयोजन पर आध्यात्मिक वक्ता जया किशोरी ने भी अपनी खुशी और अनुभव साझा किया। उन्होंने कहा, “यहां आए सभी लोगों की भावनाएं शानदार हैं। इतनी ठंड के बावजूद इतनी बड़ी संख्या में लोगों का यहां आना अद्भुत है। मेरा अनुभव बहुत अच्छा रहा है। इतनी बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं को एक जगह देखकर एक अनोखी ऊर्जा पैदा होती है, जो आम दिनों में नहीं होती। यहां आने वाले हर व्यक्ति को यहां सबकुछ मिलेगा—शांति, ज्ञान, आध्यात्म और संस्कृति। प्रयागराज में इस समय इन सबका समागम देखने को मिल रहा है।”
महाकुंभ की दिव्यता और भव्यता
महाकुंभ का यह आयोजन एक अद्वितीय और दिव्य अनुभव है, जहां हर व्यक्ति अपने धार्मिक कर्तव्यों को निभाने के साथ-साथ आध्यात्मिक शांति और ज्ञान प्राप्त करने का अवसर पाता है। संगम तट पर स्नान और पूजा अर्चना के साथ-साथ विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित हो रहे हैं, जो इस महाकुंभ के महत्व को और बढ़ा रहे हैं।
इस महाकुंभ के आयोजन से न केवल धार्मिक आस्था को बल मिल रहा है, बल्कि यह समाज में शांति और एकता का संदेश भी फैलाता है। सभी के मन में आस्था और भक्ति का संचार हो रहा है, और यह अद्भुत दृश्य पूरे देश और दुनिया को जोड़ने का काम कर रहा है।
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