KNEWS DESK- कुरुक्षेत्र के ऐतिहासिक ब्रह्मसरोवर के पुरुषोत्तमपुरा बाग में हवन यज्ञ और गीता पूजन के साथ अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव का शुभारंभ किया गया। इस महोत्सव के उद्घाटन समारोह में हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी, केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान, और ज़ांजीबार के संस्कृति एवं खेल मंत्री टी.एम. मविता ने हिस्सा लिया। मुख्यमंत्री नायब सैनी ने खुद पूजन किया और हवन यज्ञ में आहुति डालकर इस पवित्र आयोजन का नेतृत्व किया।
मुख्य कार्यक्रम और शुभारंभ
महोत्सव की शुरुआत ब्रह्मसरोवर में 10 बजे से पूजन और गीता हवन पूर्णाहुति के साथ हुई। इस आयोजन में राज्य स्तरीय जनसंपर्क विभाग की प्रदर्शनी और हरियाणा पवेलियन का उद्घाटन भी किया गया, जिससे महोत्सव में आने वाले पर्यटकों और श्रद्धालुओं को राज्य की संस्कृति और परंपराओं के बारे में जानकारी मिली। इसके बाद कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के सभागार में एक गीता सेमिनार का आयोजन हुआ, जिसमें राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय, उत्तराखंड के राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) गुरमीत सिंह और स्वदेशी जागरण मंच के सतीश समेत कई विशिष्ट अतिथि शामिल हुए।
सांस्कृतिक कार्यक्रम और सुरक्षा व्यवस्था
शाम 6:30 बजे, ब्रह्मसरोवर के मुख्य मंच पर प्रसिद्ध गायक हंसराज हंस ने अपनी सुरमई आवाज से दर्शकों को मंत्रमुग्ध किया। उनका संगीत और गायन इस आयोजन को और भी विशेष बना गया।
सुरक्षा की दृष्टि से भी आयोजकों ने पूरी तैयारी की थी। ब्रह्मसरोवर के आसपास वाहनों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाया गया था, ताकि आमजन की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। पुलिस ने चुपचाप सुरक्षा का सख्त इंतजाम किया था, जिससे कार्यक्रम बिना किसी अवरोध के सफलतापूर्वक संपन्न हो सके। इस दौरान श्रद्धालुओं और दर्शकों को कोई कठिनाई नहीं हुई और उन्होंने महोत्सव का भरपूर आनंद लिया।
अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव की अहमियत
अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव का आयोजन हर साल कुरुक्षेत्र में होता है, और यह न केवल भारतीय संस्कृति और धार्मिकता का प्रतीक है, बल्कि दुनिया भर से आए श्रद्धालुओं और पर्यटकों के लिए एक अद्वितीय अनुभव है। महोत्सव के माध्यम से गीता के संदेश को जन-जन तक पहुंचाने और विभिन्न देशों के लोगों को भारतीय संस्कृति से परिचित कराने का प्रयास किया जाता है। इस साल भी महोत्सव ने हजारों श्रद्धालुओं और पर्यटकों को आकर्षित किया और एक सफल आयोजन के रूप में अपना स्थान बनाया।
यह महोत्सव न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि सांस्कृतिक और पर्यटन की दृष्टि से भी एक महत्वपूर्ण अवसर बनकर उभरा है, जिसे हरियाणा सरकार और अन्य राज्यों के प्रतिनिधियों ने मिलकर सफलतापूर्वक आयोजित किया।
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