KNEWS DESK : अब जब वित्त वर्ष 2022-23 को समाप्त होने के लिए केवल दो ही दिन बचे हैं ऐसे में यह जरूरी हो जाता है कि हम यह समझ लें कि क्या क्या बदलाव होने जा रहे हैं और अगर जरूरी हुआ तो अंतिम एक दिन में भी टैक्स बचाने के लिए कदम उठाया जा सकता है. एक अप्रैल से टैक्स रिजीम से लेकर टैक्स स्लैब तक में बदलाव हो रहे हैं.
1 अप्रैल 2023 से आयकर नियमों में काफी बदलाव होने जा रहे हैं. वित्त वर्ष 2023-24 (आकलन वर्ष 24-25) के लिए आयकर नियमों में नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा काफी बदलाव किए जा रहे हैं. बजट 2023-24 को प्रस्तुत करते हुए लोकसभा में वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने कई बदलावों से जुड़ी घोषणा की थी. साथ ही कुछ बदलावों को बजट के संसद में पास होने के बाद संशोधनों के माध्यम से भी बदला गया है. अब जब वित्त वर्ष 2022-23 को समाप्त होने के लिए केवल दो ही दिन बचे हैं ऐसे में यह जरूरी हो जाता है कि हम यह समझ लें कि क्या क्या बदलाव होने जा रहे हैं और अगर जरूरी हुआ तो अंतिम एक दिन में भी टैक्स बचाने के लिए कदम उठाया जा सकता है. एक अप्रैल से टैक्स रिजीम से लेकर टैक्स स्लैब तक में बदलाव हो रहे हैं.
7 लाख की गई टैक्स लिमिट
नई कर व्यवस्था के तहत सरकार बजट 2023 में 7 लाख रुपये तक की आय पर टैक्स छूट पा सकता है. अगर पुरानी व्यवस्था से टैक्स भरने का विकल्प चुनते हैं तो ये छूट नहीं मिलेगा. 1 अप्रैल से ये नियम लागू होगा.
स्टैंडर्ड डिडक्शन
मानक कटौती में कोई बदलाव नहीं है. पुरानी टैक्स व्यवस्था के तहत 50 हजार रुपये की मानक कटौती रखी गई है. हालांकि पेंशनर्स के लिए 15.5 लाख की आय पर स्टैंडर्ड डिडक्शन 52,500 रुपये होगी.
इनकम टैक्स स्लैब में बदलाव
नई टैक्स व्यवस्था के तहत टैक्स स्लैब 0 से 3 लाख पर शून्य, तीन से 6 लाख पर 5 फीसदी, 6 से 9 लाख रुपये पर 10 फीसदी, 9 से 12 लाख पर 15 प्रतिशत और 15 लाख से ऊपर पर 30 फीसदी है. एलटीए की लिमिट भी बढ़ रही है. गैर सरकारी कर्मचारियों के लिए लीव इनकैशमेंट 2002 से 3 लाख रुपये था, जिसे बढ़ाकर 25 लाख रुपये कर दिया गया है.
डेट म्यूचुअल फंड पर टैक्स
एक अप्रैल से डेट म्यूचुअल फंड पर एलटीसीजी टैक्स बेनेफिट्स नहीं दिया जाएगा. यानी कि 1 अप्रैल से डेट म्यूचुअल फंड में निवेश पर शाॅर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स के तहत आएगा.
मार्केट लिंक्ड डिबेंचर
एक अ्रपैल से मार्केट लिंक्ड डिबेंचर में निवेश शाॅर्ट टर्म कैपिटल संपत्ति होगी. इससे पहले की निवेश की ग्रैंडफादरिंग खत्म हो जाएगी और म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री पर निगेटिव असर पड़ेगा.
जीवन बीमा पाॅलिसी
5 लाख रुपये के सालाना प्रीमियम से ज्यादा जीवनी बीमा प्रीमियम से आय नए वित्तीय वर्ष यानी 1 अप्रैल 2023 से टैक्स के तहत आएगा.
वरिष्ठ नागरिकों को लाभ
सीनियर सिटीजन सेविंग स्कीम के तहत निवेश की लिमिट 15 लाख रुपये से बढ़ाकर 30 लाख रुपये किया जा चुका है, जो एक अप्रैल से लागू होगा.
ई-गोल्ड पर टैक्स नहीं?
अगर भौतिक सोने को ई-गोल्ड रसीद में बदलते हैं तो पूंजीगत लाभ पर टैक्स नहीं लगेगा. ये भी नियम 1 अप्रैल 2023 से प्रभावी होंगे.