हिंसा में शामिल 400 लोगों की पहचान, सुबूत जुटाने में जुटी पुलिस – न्यायिक आयोग की जांच तेज

KNEWS DESK-  शाही जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान 24 नवंबर को हुई हिंसा की जांच के लिए गठित न्यायिक आयोग ने अपनी जांच प्रक्रिया शुरू कर दी है। तीन सदस्यीय आयोग के दो सदस्य रविवार को संभल पहुंचे और हिंसा प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया। इस दौरान, उन्होंने अफसरों से जानकारी ली और घटनास्थल का मुआयना किया। आयोग की टीम ने जामा मस्जिद का भी दौरा किया और मस्जिद कमेटी के सदस्यों से मुलाकात की।

इस मामले की गंभीरता को देखते हुए मंडल आयुक्त आंजनेय कुमार सिंह ने कहा कि हिंसा में शामिल लोगों के खिलाफ सबूत जुटाए जा रहे हैं और अब तक 400 लोगों की पहचान हो चुकी है।

आयोग की टीम ने दौरा किया हिंसा प्रभावित क्षेत्रों का

न्यायिक आयोग के अध्यक्ष, हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश देवेंद्र कुमार अरोड़ा और आयोग के सदस्य, पूर्व पुलिस महानिदेशक एके जैन रविवार सुबह करीब दस बजे संभल पहुंचे। हालांकि, एक अन्य सदस्य, सेवानिवृत्त अपर मुख्य सचिव अमित मोहन टीम के साथ नहीं आ सके। आयोग की टीम ने मस्जिद के आसपास हुए उपद्रव की जगहों का मुआयना किया और पुलिस अधीक्षक केके विश्नोई से पूरी घटनाक्रम की जानकारी ली। इसके बाद टीम ने नखासा तिराहा और हिंदूपुरा खेड़ा इलाके का भी दौरा किया, जहां हिंसा और भीड़ की स्थिति गंभीर हो गई थी।

पुलिस की कार्रवाई: उपद्रवियों की पहचान और गिरफ्तारी

पुलिस द्वारा उपद्रवियों के खिलाफ कार्रवाई तेज की गई है और इस सिलसिले में पुलिस की पांच टीमें बनाई गई हैं। एसपी केके विश्नोई ने बताया कि पुलिस वीडियो और फोटोग्राफी के माध्यम से उपद्रवियों की पहचान कर रही है और उन्हें गिरफ्तार करने की प्रक्रिया जारी है।

मस्जिद कमेटी का बयान: कोई सवाल नहीं किए गए

जामा मस्जिद के इमाम आफताब हुसैन वारसी और मस्जिद कमेटी के सचिव मसूद फारूकी ने आयोग की टीम के दौरे पर टिप्पणी करते हुए कहा कि टीम केवल घटनास्थल का मुआयना करने आई थी। मसूद फारूकी ने कहा कि आयोग ने हमसे कोई सवाल नहीं पूछा और बयान बाद में दर्ज किए जाएंगे। टीम ने करीब 15 मिनट तक मस्जिद का दौरा किया और घटनास्थल की स्थिति का जायजा लिया।

जांच का दायरा और समयसीमा

आयोग के अध्यक्ष देवेंद्र अरोड़ा ने कहा कि घटना की पूरी तह तक पहुंचने के लिए जांच की प्रक्रिया को गंभीरता से आगे बढ़ाया जाएगा। इस दौरान अफसरों और आम लोगों के बयान दर्ज किए जाएंगे, साथ ही सभी पहलुओं की गहनता से जांच की जाएगी। आयोग ने बताया कि इस मामले की पूरी जांच में लगभग दो महीने का समय लग सकता है।

जामा मस्जिद और नीलकंठ मंदिर विवाद: नए राजनीतिक मोड़

जामा मस्जिद और नीलकंठ महादेव मंदिर को लेकर विवाद भी गहराता जा रहा है। ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन के राष्ट्रीय अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी के बयान के बाद यह मामला और गरमा गया है। सोशल मीडिया पर इस विवाद को लेकर तीखी प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं।

वहीं, मस्जिद और मंदिर के मामले में दोनों पक्षों के अलग-अलग दावे हैं। 8 अगस्त 2022 को विश्व हिंदू परिषद के प्रांतीय अध्यक्ष मुकेश पटेल ने अदालत में दावा किया कि जहां जामा मस्जिद स्थित है, वहां पहले नीलकंठ महादेव का मंदिर था। इस दावे के बाद अदालत में सुनवाई शुरू हो गई थी।

ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने आरोप लगाया कि देश में सर्वे के नाम पर सांप्रदायिक तनाव फैलाया जा रहा है। उनका कहना है कि प्रधानमंत्री को इस मामले में हस्तक्षेप करना चाहिए और सांप्रदायिक सौहार्द बनाए रखने के लिए आवश्यक कदम उठाने चाहिए।

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