‘मौत से पहले बेटी के झेले गए दर्द के बारे में सोचती हूं तो कांप उठती हूं’, कोलकाता पीड़िता की मां का बयान

KNEWS DESK- कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में महिला डॉक्टर के साथ हुई दरिंदगी की घटना ने पूरे देश में आक्रोश पैदा कर दिया है। दुष्कर्म और हत्या के इस जघन्य अपराध के दोषियों को फांसी की सजा देने की मांग को लेकर देशभर में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। इस बीच, पीड़िता के माता-पिता ने कोलकाता पुलिस पर गंभीर आरोप लगाए हैं, दावा करते हुए कि पुलिस ने अपराध को छिपाने की कोशिश की और सबूतों के साथ छेड़छाड़ की।

पीड़िता के माता-पिता का आरोप

रविवार (08 सितंबर) को पीड़िता के माता-पिता ने मीडिया से बातचीत में कहा कि कोलकाता पुलिस ने अपराध को छिपाने की कोशिश की है। पीड़िता की मां ने टाइम्स ऑफ इंडिया से बात करते हुए कहा, “हमें आसानी से न्याय नहीं मिलने वाला, हमें इसे छीनना पड़ेगा और ये सब की मदद के बिना संभव नहीं है।” उन्होंने पुलिस पर शुरुआत से ही सहयोग न करने का आरोप लगाया और कहा कि यदि पुलिस ने थोड़ी भी मदद की होती तो उन्हें न्याय की उम्मीद हो सकती थी।

पीड़िता की मां ने कहा, “पुलिस ने इस जघन्य अपराध को छिपाने की कोशिश की और सबूतों के साथ छेड़छाड़ की गई।” उनकी पीड़ा को दर्शाते हुए, उन्होंने कहा कि जब भी वह अपनी बेटी के झेले गए दर्द के बारे में सोचती हैं, तो कांप उठती हैं। उन्होंने अपनी बेटी के समाज सेवा के सपने का जिक्र करते हुए कहा कि प्रदर्शनकारी अब उनके बच्चे हैं।

विरोध प्रदर्शन और न्याय की मांग

रविवार को कोलकाता में न्याय की मांग को लेकर हजारों लोगों ने मार्च निकाला, जिसमें पीड़िता के माता-पिता भी शामिल हुए। इस मार्च ने इस अपराध के खिलाफ गुस्से और पीड़ित परिवार के प्रति समर्थन को दर्शाया। लोग दोषियों को कड़ी सजा देने की मांग कर रहे हैं और पुलिस की भूमिका पर सवाल उठा रहे हैं।

एफआईआर दर्ज करने में देरी और पुलिस की भूमिका

इस मामले में एफआईआर दर्ज करने में 14 घंटे की देरी ने भी जांच और पुलिस की भूमिका पर सवाल खड़े किए हैं। आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के अधिकारियों के साथ ही पुलिस की भूमिका भी आलोचना के घेरे में है।

पीड़िता के परिवार और नागरिक समाज के अन्य सदस्य इस मामले में न्याय की उम्मीद कर रहे हैं और मामले की निष्पक्ष जांच की मांग कर रहे हैं। न्याय की इस लड़ाई ने लोगों को एकजुट किया है और समाज में संवेदनशीलता और कानून की शक्ति को फिर से स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है।

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