राजस्थान में पुलिस महकमे में उर्दू शब्दों की जगह हिंदी शब्दों का होगा इस्तेमाल, भजनलाल सरकार ने जारी किया आदेश

KNEWS DESK – राजस्थान में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की सरकार ने एक नई पहल की है, जिसमें पुलिस महकमे में उर्दू शब्दों की जगह हिंदी शब्दों का इस्तेमाल करने का आदेश दिया गया है। इस फैसले के तहत, अब पुलिस महकमे में आमतौर पर इस्तेमाल होने वाले उर्दू शब्दों जैसे “मुकदमा”, “चश्मदीद”, “इल्जाम” और “मुल्जिम” का प्रयोग नहीं होगा। इनकी जगह हिंदी शब्दों का इस्तेमाल किया जाएगा।

डीजीपी ने दिए थे निर्देश

बता दें कि राजस्थान के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) यू आर साहू ने इस आदेश के तहत एडीजीपी को निर्देश दिए थे कि वे यह पता करें कि पुलिसिंग में उर्दू के कौन से शब्द इस्तेमाल हो रहे हैं और उनकी जगह कौन से हिंदी शब्द इस्तेमाल किए जा सकते हैं। इसके बाद यह आदेश जारी किया गया कि उर्दू शब्दों की जगह अब हिंदी के समकक्ष शब्दों का उपयोग किया जाएगा। राजस्थान पुलिस में अब तक जो उर्दू शब्दों का प्रयोग किया जाता था, उनमें प्रमुख शब्द थे जिनमें..

  • मुकदमा (केस)
  • मुल्जिम (आरोपी)
  • मुस्तगिस (शिकायतकर्ता)
  • इल्जाम (आरोप)
  • इत्तिला (सूचना)
  • जेब तराशी (जेब काटना)
  • फर्द बरामदगी (वसूली मेमो)

इन शब्दों की जगह अब हिंदी के शब्दों का प्रयोग किया जाएगा। उदाहरण के लिए, “मुकदमा” का स्थान “केस” लेगा, “मुल्जिम” के स्थान पर “आरोपी” का उपयोग किया जाएगा।

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कांग्रेस ने किया विरोध

राजस्थान सरकार के इस आदेश पर कांग्रेस पार्टी ने आपत्ति जताई है। कांग्रेस महासचिव स्वर्णिम चतुर्वेदी ने इसे “अनुचित और गलत कदम” बताया। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को इस तरह के निर्देशों से ज्यादा ध्यान कानून व्यवस्था सुधारने और अपराधों पर नियंत्रण लगाने पर केंद्रित करना चाहिए।

स्वर्णिम चतुर्वेदी ने आरोप लगाया कि राजस्थान में कानून व्यवस्था की स्थिति लगातार बिगड़ रही है और राज्य सरकार को इस पर कोई गंभीरता नहीं दिखाई दे रही है। उनके मुताबिक, लंबे समय से चलन में रहे शब्दों को बदलने के बजाय सरकार को अपराधों पर अंकुश लगाने और कानून व्यवस्था को सुधारने की कोशिश करनी चाहिए।

सरकार का उद्देश्य और प्रतिक्रिया

राजस्थान सरकार का कहना है कि यह कदम भाषा की शुद्धता को बढ़ावा देने के लिए उठाया गया है और यह हिंदी को प्रमोट करने की दिशा में एक सकारात्मक पहल है। राज्य सरकार के प्रवक्ताओं का कहना है कि इस निर्णय से पुलिसिंग में हिंदी शब्दों का अधिक इस्तेमाल होगा, जो कि भाषा के प्रचार-प्रसार में मदद करेगा और प्रशासनिक कार्यों को और अधिक समझने योग्य बनाएगा।

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