KNEWS DESK… बिहार में जाति सर्वेक्षण के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई आज यानी 18 अगस्त को पूरी हो गई. सुप्रीम कोर्ट ने पटना हाईकोर्ट के फैसले को यथावत बरकरार रखने का आदेश दिया है. वहीं, बिहार सरकार की ओर से कहा गया कि राज्य में सर्वे का काम लगभग पूरा हो चुका है. डेटा वेबसाइट पर अपलोड भी होना शुरू हो गया है. इस पर याचिकाकर्ता के वकील ने जाति जनगणना का ब्योरा जारी करने की मांग की.
दरअसल आपको बता दें कि जाति सर्वेक्षण पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा है कि बिहार सरकार का पक्ष सुने बिना कोई रोक नहीं लगाई जा सकती. आपको बता दें कि इससे पहले इस मामले की सुनवाई 14 अगस्त को होनी थी, जिसे टाल दिया गया था. इस मामले में दायर अन्य याचिकाएं भी 18 अगस्त के लिए सूचीबद्ध की गई थी. आज सभी याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई पूरी हो गई.
जानकारी के लिए बता दें कि पटना हाईकोर्ट ने 1 अगस्त को जातिगणना को चुनौती देने वाली सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया था. हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि सरकार चाहे तो गिनती करा सकती है. इसके तुरंत बाद नीतीश सरकार ने जातीय जनगणना को लेकर आदेश जारी कर दिया था. सरकार ने सभी डीएम को हाईकोर्ट के फैसले के आधार पर जाति गणना का बचा हुआ काम पूरा करने का आदेश दिया है. पिछले एक हफ्ते से ये बहुत तेजी से हो रहा है. पटना जैसे बड़े जिले का काम लगभग पूरा होने वाला है. विभागीय सूत्रों की मानें तो सर्वेक्षण का काम लगभग पूरा हो चुका है. डेटा कलेक्शन का काम भी पूरा हो चुका है. अब डाटा ऑनलाइन अपलोड किया जा रहा है.
यह भी पढ़ें… बिहार में जाति जनगणना पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक, जानिए क्यो?
गौरबतल हो कि बिहार के सीएम नीतीश कुमार के मुताबिक, बिहार सरकार जाति की गणना नहीं, बल्कि सिर्फ लोगों की आर्थिक स्थिति और उनकी जाति से जुड़ी जानकारी हासिल करना चाहती है. इससे उनकी बेहतरी के लिए योजनाएं बनाई जा सकेंगी. सरकार उन्हें बेहतर सेवा देने के लिए एक ग्राफ तैयार कर सकती है. पटना हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि राज्य सरकार का यह काम नियमों के मुताबिक है. बिल्कुल वैध भी. राज्य सरकार चाहे तो गिनती करा सकती है. हाई कोर्ट ने बिहार में जाति आधारित सर्वे को ‘कानूनी’ करार दिया था. बिहार सरकार ने इसके लिए 500 करोड़ रुपये खर्च करने की भी योजना बनाई है.