KNEWS DESK- इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश के बाद ज्ञानवापी सर्वे का काम शुक्रवार की सुबह से शुरू किया गया। इसकी जांच भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) कर रही है। ASI टीम को लीड पुरातत्व विभाग के अतिरिक्त महानिदेशक डॉ. आलोक त्रिपाठी कर रहे हैं। ये वो शख्स हैं जो समय की रेत के नीचे छिपे रहस्यों और खोए हुए खजाने को उजागर करने का हुनर रखते हैं।
ज्ञानवापी सर्वे की टीम का नेतृत्व कर रहे एएसआई के अतिरिक्त महानिदेशक डॉ. आलोक त्रिपाठी को अंडरवाटर आर्कियोलॉजिकल विंग के उत्खनन और सर्वेक्षण में विशेषज्ञता हासिल है। उन्हें लक्षद्वीप के बांगरम आइलैंड के समुद्र में प्रिसेंस रॉयल जहाज के अवशेष ढूंढने में सफलता मिली थी।
जानिए आलोक त्रिपाठी के बारे में
डॉ. त्रिपाठी इस समय एएसआई के एडिशनल डायरेक्टर जनरल के पद पर भी कार्यरत हैं। अंडरवाटर आर्कियोलॉजिकल विंग के अध्यक्ष के रूप में उनके कार्य की सराहना बड़े स्तर पर हो चुकी है। डॉ. आलोक त्रिपाठी ने असम यूनिवर्सिटी सिलचर में बतौर प्रोफेसर अपनी सेवाएं दीं। वहां वे इतिहास विभाग में प्रोफेसर थे।
डॉ. आलोक को तीन साल के लिए एएसआई का अतिरिक्त महानिदेशक नियुक्त किया गया। उन्होंने प्राचीन गुफाओं के रास्ते होने वाले व्यवसाय के बारे में भी खासा रिसर्व किया है। वे इतिहास के जाने-माने प्रोफेसर के रूप में पहचाने जाते हैं।
बचपन से था आर्कियोलॉजिस्ट बनने का शौक
डॉ. आलोक त्रिपाठी को बचपन से ही आर्कियोलॉजिस्ट बनने का शौक था। उन्हें पुरानी चीजों के बारे में जानने और उस पर शोध करने का ऐसा शौक हुआ कि इतिहास का प्रोफेसर होने के बाद भी वे ऑर्कियोलिकल डिपार्टमेंट से जुड़े। एक मीडिया इंटरव्यू में उन्होंने कहा था कि मैं उस समय से पुरातत्वविद बनना चाहता था, जब चौथी कक्षा में था। तमिलनाडु के मामल्लापुरम तट पर सुनामी के बाद प्राचीन मंदिरों के अवशेष उभरे थे। डॉ. आलोक त्रिपाठी के नेतृत्व में एएसआई की टीम ने इसका सर्वे किया था।
डॉ. आलोक त्रिपाठी एक पेशेवर गोताखोर हैं। उन्हें जहाजों के मलबे पर काम करना एडवेंचरस लगता है। उन्होंने लक्षद्वीप में बांगरम द्वीप पर प्रिंसेस रॉयल जहाज के मलबे की खुदाई का का कार्य कराया। वे कहते हैं कि समुंद्र में कई राज छुपे हैं, जो हमें उस युग के बारे में बताते हैं। वे कांस्य युग के जहाज पर काम करने की बात करते हैं। वे कहते हैं कि भारत का समुद्र पुरातात्विक अवशेषों से समृद्ध है।
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