सहारा निवेशकों के लिए खुश खबरी, जल्द मिल सकता है पैसा, सरकार ने उठाया बड़ा कदम

दिल्ली, भारत के करोड़ों निवेशकों ने सहारा कंपनी में अपनी ईमानदारी की कमाई निवेश की थी. लेकिन निवशकों को ब्याज छोड़िए मूलधन भी कई सालों से नही मिल पाया है. लेकिन सहारा निवेशों के लिए एक खुश खबरी सामने आई है. अब सहारा में फसा उनको पैसा जल्द वापस मिल जाएगा. इसके सरकार ने एक बड़ा कदम उठाया है.

सहारा ग्रुप में जिन भी निवेशकों का पैसा फसा हुआ है. अब वो जल्द ही वापस मिल सकता है. सहारा-सेबी फंज में 24000 हजार करोड़ रूपये डाले गए है. जिसमें सरकार ने 5000 करोड़ रूपये अलॉट करने के लिए सुप्रीम कोर्ट से अपील की हैय जिसके मदद से करीब 1.1 करोड़ निवेशकों को उनका पैसा वापस किया जा सके. करोड़ों लोगों का पैसा सहारा ग्रुप की चार कोऑपरेटिव सोसाइटीज में पड़ा है. जिसको वापस पाने के ये लोग दर दर भटक रहे है. साल 2012 में सुप्रीम कोर्ट ने एक ऑडर में सहारा हाउसिंग (Sahara Housing) और सहारा रियल एस्टेट (Sahara Real Estate) को 25,781 करोड़ रुपये डिपॉजिट करने का ऑर्डर दिया था. इन कंपनियों ने साल 2008 से अक्टूबर 2009 तक ये रकम तीन करोड़ निवेशकों की मदद से जुटाई थी. जिन पर 9,410 करोड़ रुपये ब्याज बना है. इस तरह सहारा-सेबी फंड में कुल 24,979 करोड़ रुपये जमा हैं. रिफंड के बाद इस अकाउंट में अब भी 23,937 करोड़ रुपये जमा हैं.

मिनिस्ट्री ऑफ कोऑपरेशन की तरफ से पेश एडिशनल सॉलीसीटर जनरल एश्वर्य भाटी ने कोर्ट को बताया कि चार मल्टी-स्टेट कोऑपरेटिव्स सहारा क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी, सहारा यूनिवर्सिल मल्टीपर्पज सोसाइटी, हमारा इंडिया क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी और स्टार्स मल्टीपर्पज कोऑपरेटिव सोसाइटी ने नौ करोड़ से अधिक निवेशकों से 86,673 करोड़ रुपये इकट्ठा किए थे और इसमें से 62,643 करोड़ रुपये एंबी वैली में निवेश किए थे. मंत्रालय ने कहा कि दिल्ली हाई कोर्ट के स्पेसिफिक ऑर्डर के बावजूद सहारा ग्रुप कोऑपरेटिव सोसाइटीज ने इस मामले में कोई सहयोग नहीं दिया है और निवेशकों के पैसों के रिफंड और दावों के समाधान की प्रक्रिया को खारिज किया है.

 

मिनिस्ट्री ने कहा कि सहारा क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी से 2,253 करोड़ रुपये निकाले गए और सहारा रियल एस्टेट के विवाद से जुड़े सेबी के अकाउंट में जमा कराए. यह पैसा सहारा ग्रुप की मल्टी-स्टेट कोऑपरेटिव सोसाइटीज के नाम पर फंसा हुआ है. सहारा ग्रुप की कंपनियों की आपस में साठगांठ थी. उन्होंने निवेशकों से मिले पैसों की लॉन्ड्रिंग की और उसे एक एसेट में लगाया. सहारा की कंपनियों और योजनाओं में देशभर में करोड़ों लोगों ने निवेश किया था. सहारा ने आईपीओ लाने की योजना बनाई थी. सहारा ने जब सेबी से IPO के लिए आवेदन दिया तो सेबी ने उससे DRHP यानी कंपनी का पूरा बायोडेटा मांग लिया. जब सेबी ने इसकी जांच की तो इसमें काफी गड़बड़ियां मिलीं. इसके बाद सेबी का सहारा इंडिया पर शिकंजा कसता चला गया. सहारा पर आरोप लगे कि उसने अपने निवेशकों का पैसा गलत तरीके से इस्तेमाल किया.

 

 

इनको वापस मिल चुका है पैसा

सरकार की तरफ से संसद में दी गई जानकारी के मुताबिक सेबी को 81.70 करोड़ रुपये की कुल मूल राशि के लिए 53,642 ओरिजिनल बॉन्ड सर्टिफिकेट/पास बुक से जुड़े 19,644 आवेदन मिले हैं. सेबी ने इनमें से 138.07 करोड़ रुपये की कुल राशि 48,326 ओरिजिनल बॉन्ड सर्टिफिकेट/पासबुक वाले 17,526 एलिजिबल बॉन्डहोल्डर्स को रिफंड किया है. इसमें 70.09 करोड़ रुपये मूलधन और 67.98 करोड़ रुपये का ब्याज शामिल है. बाकी आवेदन बंद कर दिए गए हैं. इसकी वजह यह है कि सहारा की कंपनियों की तरफ से जो दस्तावेज दिए गए थे, उनमें उनका रेकॉर्ड नहीं मिल पाया. साथ ही कई बॉन्डहोल्डर्स ने सेबी के सवालों का जवाब नहीं दिया, इसलिए उनके आवेदन को बंद कर दिया गया.              

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