KNEWS DESK – विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शनिवार को चीन के साथ भारत के संबंधों को लेकर महत्वपूर्ण जानकारी साझा की। उन्होंने कहा कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर गश्त को लेकर चीन के साथ एक समझौता हुआ है, लेकिन इसका अर्थ यह नहीं है कि सभी मुद्दे हल हो गए हैं।
अगले कदम पर विचार करने का अवसर
आपको बता दें कि विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शनिवार को चीन के साथ हुए गश्त समझौते पर बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर समझौता होना महत्वपूर्ण है, लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि सभी मुद्दे सुलझ गए हैं। जयशंकर ने पुणे में एक कार्यक्रम के दौरान बताया कि सैनिकों के पीछे हटने से अब अगले कदम पर विचार करने का अवसर मिला है, लेकिन स्थिति पूरी तरह से सामान्य नहीं हुई है।
पुणे में एक कार्यक्रम के दौरान बोलते हुए, जयशंकर ने कहा, “सैनिकों के पीछे हटने से हमें अगले कदम पर विचार करने का अवसर मिला है, लेकिन यह ध्यान रखना जरूरी है कि मुद्दे पूरी तरह से हल नहीं हुए हैं।” उन्होंने इस समझौते का श्रेय भारतीय सेना को दिया, जिसने अत्यंत चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में काम किया।
जयशंकर ने बताया कि 21 अक्टूबर को हुए समझौते के तहत देपसांग और डेमचोक में गश्त को फिर से शुरू किया जाएगा। उन्होंने कहा, “इससे हमें आगे बढ़ने के लिए एक प्लेटफॉर्म मिलेगा, लेकिन यह पहला चरण है।”
संबंधों को सामान्य बनाने में समय
विदेश मंत्री ने इस बात पर भी जोर दिया कि भारत और चीन के बीच संबंधों को सामान्य बनाने में समय लगेगा। उन्होंने कहा, “भरोसा पुनः स्थापित करने में स्वाभाविक रूप से समय लगेगा।” उन्होंने याद दिलाया कि जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग से मुलाकात की थी, तब यह तय किया गया था कि दोनों देशों के विदेश मंत्री और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार मिलकर आगे की रणनीति पर चर्चा करेंगे।
भविष्य के लिए रणनीतियाँ
जयशंकर ने कहा कि पिछले एक दशक में भारत ने अपने बुनियादी ढांचे में सुधार किया है। उन्होंने बताया कि पहले की तुलना में अब देश सीमा पर प्रति वर्ष पांच गुना अधिक संसाधन लगा रहा है, जिससे सेना को प्रभावी रूप से तैनात करने में मदद मिल रही है।
समाधान की ओर बढ़ते कदम
विदेश मंत्री ने बताया कि भारत और चीन के बीच सितंबर 2020 से वार्ता चल रही है, जिसका उद्देश्य विवाद के समाधान की तलाश करना है। उन्होंने स्पष्ट किया कि सैनिकों को पीछे हटाना एक महत्वपूर्ण कदम है, क्योंकि दोनों पक्ष बहुत करीब थे और किसी भी समय तनाव बढ़ सकता था।