KNEWS DESK- पंजाब के खनौरी सीमा पर पिछले दस महीनों से डेरा डाले बैठे किसानों का एक जत्था आज दिल्ली कूच करने वाला है। किसानों ने इस आंदोलन के लिए हर घर से एक व्यक्ति को शामिल होने का आह्वान किया है, जिससे उनका प्रदर्शन और भी प्रभावी हो सके। इस कूच को लेकर प्रशासन ने अपनी तैयारियां पूरी कर ली हैं और सुरक्षा व्यवस्था को कड़ा कर दिया है।
सुरक्षा प्रबंधों को लेकर प्रशासन अलर्ट
अंबाला के शंभू बॉर्डर पर गुरुवार रात तक पुलिस प्रशासन की उच्चस्तरीय टीम मौजूद रही। इसमें अंबाला के आईजी और एसपी ने मौके का दौरा किया और सुरक्षा प्रबंधों का जायजा लिया। दूसरी ओर, हरियाणा के दाता सिंह वाला बॉर्डर पर भी सुरक्षा बलों को फिर से सतर्क कर दिया गया है। किसानों को दिल्ली कूच से रोकने के लिए सुरक्षा बलों ने पूरी रणनीति तैयार कर ली है और हर पहलू पर नजर रखी जा रही है।
किसानों का ‘दिल्ली कूच’ प्लान
किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने जानकारी दी कि 101 किसानों का जत्था शंभू बॉर्डर से आज अपराह्न 1 बजे दिल्ली के लिए पैदल मार्च शुरू करेगा। पंधेर ने कहा, “मोर्चे को चलते 297 दिन हो चुके हैं, और खनौरी बॉर्डर पर आमरण अनशन 11वें दिन में प्रवेश कर गया है। अब हम दिल्ली कूच करने के लिए तैयार हैं।” उन्होंने यह भी कहा कि अगर सरकार उन्हें मार्च करने से रोकने की कोशिश करती है, तो यह उनकी “नैतिक जीत” होगी, क्योंकि किसानों का उद्देश्य अब किसी भी स्थिति में दिल्ली पहुंचना है।
किसान नेता ने यह भी कहा कि किसानों को रोकने का कोई कारण नहीं होना चाहिए, क्योंकि उनका आंदोलन शांतिपूर्ण है और उनके पास अपनी आवाज उठाने का अधिकार है।
किसानों की मांग
पंजाब के किसान पिछले कई महीनों से कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। उनका मुख्य उद्देश्य केंद्र सरकार द्वारा लागू किए गए कृषि कानूनों को वापस करवाना है। इस आंदोलन में किसानों की मुख्य मांगें हैं—कृषि कानूनों की वापसी, MSP पर कानूनी गारंटी और किसानों के खिलाफ दर्ज मामलों की वापसी।
प्रशासन की चुनौती
दिल्ली कूच को लेकर प्रशासन के लिए चुनौती यह है कि वह किसानों के विरोध प्रदर्शन को शांतिपूर्ण तरीके से नियंत्रित करे। प्रशासन ने सुरक्षा बलों को अलर्ट किया है और किसानों के मार्ग को रोकने के लिए कड़ी निगरानी रखने की योजना बनाई है। यह आंदोलन किसानों के अधिकारों को लेकर एक महत्वपूर्ण मोड़ पर है और दिल्ली में किसानों का यह कूच अब राजनीतिक और सामाजिक दोनों स्तरों पर चर्चा का विषय बन गया है।
ये भी पढ़ें- संसद भवन में महापरिनिर्वाण दिवस पर डॉ. अंबेडकर को दी गई श्रद्धांजलि, पीएम मोदी और मल्लिकार्जुन खरगे का दोस्ताना अंदाज