KNEWS DESK- बिजली चोरी और टेम्परिंग के मामले में बड़ी कार्रवाई करते हुए पुलिस और विद्युत विभाग की टीम ने सुबह-सुबह संभल के सांसद शफीकुर्रहमान बर्क के घर पर छापा मारा। इस छापे के दौरान सांसद के घर से बिजली टेम्परिंग के सबूत मिले हैं, जिससे एक बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। अधिकारियों के अनुसार, सांसद के घर में बिजली की अनधिकृत तरीके से खपत की जा रही थी और इसके लिए किसी प्रकार की टेम्परिंग की गई थी।
पुलिस और बिजली विभाग की संयुक्त कार्रवाई
पुलिस और विद्युत विभाग की टीम ने सुबह करीब 5 बजे सांसद बर्क के घर पर यह छापा मारा। अधिकारियों का कहना है कि जब उन्होंने घर की बिजली व्यवस्था की जांच की, तो वहां टेम्परिंग के स्पष्ट निशान पाए गए। यह टेम्परिंग उन उपकरणों में की गई थी जो बिजली की माप के लिए होते हैं, ताकि बिजली की वास्तविक खपत को छुपाया जा सके। विभागीय अधिकारियों ने कहा कि यह एक गंभीर अपराध है, जो न केवल सरकारी संपत्ति का नुकसान करता है, बल्कि बिजली वितरण प्रणाली को भी नुकसान पहुंचाता है।
सांसद बर्क का बयान
मामले की जांच जारी होने के बाद, सांसद शफीकुर्रहमान बर्क ने अपने ऊपर लगे आरोपों को नकारा किया। उन्होंने कहा, “यह कार्रवाई बिना किसी ठोस आधार के की गई है। मैं अपने घर में किसी प्रकार की बिजली चोरी या टेम्परिंग के बारे में कुछ नहीं जानता। यह राजनीतिक साजिश हो सकती है, और मैं इसके खिलाफ पूरी तरह से कानूनी उपायों का सहारा लूंगा।”
बिजली चोरी और टेम्परिंग के गंभीर परिणाम
बिजली चोरी और टेम्परिंग एक गंभीर अपराध है और इसके लिए कानूनी तौर पर सख्त सजा का प्रावधान है। विद्युत विभाग के अधिकारी कहते हैं कि ऐसे मामलों में जुर्माना और गिरफ्तारी दोनों हो सकते हैं। टेम्परिंग से न केवल सरकारी विभाग को आर्थिक नुकसान होता है, बल्कि यह अन्य उपभोक्ताओं के लिए भी समस्याएं उत्पन्न कर सकता है, क्योंकि इससे बिजली सप्लाई प्रभावित होती है।
राजनीतिक कोण और विवाद
यह घटना संभल के सांसद और उनकी राजनीतिक छवि के लिए नया विवाद पैदा कर सकती है। सांसद बर्क को पहले भी अपने बयानों और कार्यों के कारण विवादों का सामना करना पड़ा है। इस छापे को विपक्षी दलों द्वारा भी एक राजनीतिक षड्यंत्र के रूप में देखा जा सकता है, जबकि समर्थक इसे एक गलतफहमी और बिना सही प्रमाण के कार्रवाई मान रहे हैं।
अधिकारियों का कहना
वहीं, अधिकारियों का कहना है कि यह छापा पूरी तरह से नियमों और कानूनी प्रक्रिया के तहत मारा गया है। जांच के बाद, अगर सांसद के खिलाफ कोई ठोस प्रमाण मिलते हैं, तो उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। संभल के इस घटना ने एक बार फिर बिजली चोरी और टेम्परिंग के खिलाफ सख्त कार्रवाई की आवश्यकता को उजागर किया है। अब यह देखना होगा कि इस मामले में आगे क्या कार्रवाई होती है और सांसद बर्क इस विवाद से बाहर निकलते हैं या नहीं।
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