KNEWS DESK – अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा शरणार्थी कार्यक्रम को निलंबित करने के बाद पाकिस्तान में रहने वाले हजारों अफगान नागरिकों के भविष्य पर गंभीर सवाल उठ खड़े हुए हैं। यह निर्णय उन अफगानों के लिए एक बड़ा झटका है, जो पाकिस्तान में शरण लिए हुए हैं और जिन्हें अमेरिकी शरणार्थी कार्यक्रम के तहत अमेरिका में पुनर्वास का अवसर मिलने की उम्मीद थी।
अमेरिका में बसने का सपना
पाकिस्तान में रह रहे 25,000 से अधिक अफगान नागरिक, जो तालिबान शासित अफगानिस्तान से भागकर वहां पहुंचे थे, को अमेरिका में बसाया जाना था। ये लोग अगस्त 2021 में तालिबान के अफगानिस्तान पर काबिज होने से पहले अमेरिकी सेना और उसके ठेकेदारों के साथ काम कर चुके थे, और उन्हें उम्मीद थी कि अमेरिका उनकी मदद करेगा। अमेरिका और पाकिस्तान के बीच हुए समझौते के तहत, ये अफगान नागरिक अमेरिका में शरण लेने के लिए पुनर्वास की प्रक्रिया से गुजरने वाले थे।
समझौते की अड़चनें
पाकिस्तान सरकार और बाइडेन प्रशासन के बीच एक समझौता हुआ था, जिसके तहत अफगान नागरिकों को अमेरिका में शरण दी जानी थी। लेकिन इस समझौते के बावजूद पिछले साढ़े तीन वर्षों में कोई ठोस प्रगति नहीं हुई थी। वरिष्ठ रणनीतिक विश्लेषक कामरान यूसुफ ने बताया कि बाइडेन प्रशासन ने पाकिस्तान को आश्वासन दिया था कि विशेष अप्रवासी वीजा (एसआईवी) और अमेरिकी शरणार्थी प्रवेश कार्यक्रम (यूएसआरएपी) जैसे उपायों से अफगानों को अमेरिका में बसाया जाएगा। लेकिन ट्रंप के हालिया कार्यकारी आदेश ने इस प्रक्रिया को पूरी तरह से प्रभावित कर दिया है।
नए फैसले का प्रभाव
अमेरिका का यह फैसला पाकिस्तान में इन अफगान नागरिकों के लिए एक नई मुश्किल लेकर आया है। सोसाइटी फॉर ह्यूमन राइट्स एंड प्रिजनर्स एड (एसएचएआरपी) के अध्यक्ष सैयद लियाकत बनोरी ने कहा कि ये अफगान नागरिक पाकिस्तान में कई तरह की समस्याओं का सामना कर रहे हैं। पाकिस्तान में उनके लिए सुरक्षा का कोई भरोसा नहीं है, और अफगानिस्तान में तालिबान द्वारा उन्हें गिरफ्तार या मार दिए जाने का खतरा भी बना हुआ है, क्योंकि तालिबान उन सभी लोगों को निशाना बना रहा है जिन्होंने अमेरिकी सेना के साथ काम किया था।
पाकिस्तान की चिंता
पाकिस्तान सरकार ने भी इस नए घटनाक्रम पर अपनी चिंता व्यक्त की है। एक पाकिस्तानी अधिकारी ने कहा, “हम जानते थे कि ट्रंप प्रशासन के दौरान शरणार्थी कार्यक्रम पर सवाल उठ सकता है, लेकिन बाइडेन प्रशासन के इस फैसले ने हमें चौंका दिया है।”