KNEWS DESK… केंद्र सरकार ने स्वतंत्रता दिवस के मौके पर नेहरू मेमोरियल का नाम बदल दिया है. नेहरू मेमोरियल को अब से पीएम संग्रहालय और पुस्तकालय कहा जाएगा. स्वतंत्रता दिवस पर नाम बदलने की औपचारिक घोषणा कर दी गई है. बता दें कि नृपेंद्र मिश्रा पीएम संग्रहालय और पुस्तकालय की कार्यकारी परिषद के अध्यक्ष हैं.
दरअसल आपको बता दें कि कार्यकारी परिषद ने महसूस किया कि संस्थान का नाम वर्तमान गतिविधियों को प्रतिबिंबित करना चाहिए, जिसमें एक नया संग्रहालय भी शामिल है, जो स्वतंत्र भारत में लोकतंत्र की सामूहिक यात्रा और राष्ट्र निर्माण में प्रत्येक प्रधानमंत्री के योगदान को दर्शाता है. संग्रहालय को अद्यतन किया गया है संग्रहालय की शुरुआत पुनर्निर्मित और नवीनीकृत नेहरू संग्रहालय भवन से होती है, जिसे जवाहरलाल नेहरू के जीवन और योगदान पर तकनीकी रूप से उन्नत प्रदर्शनों के साथ पूरी तरह से अद्यतन किया गया है. दरअसल, जून महीने में नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी सोसाइटी की एक विशेष बैठक में इसका नाम बदलकर प्राइम मिनिस्टर म्यूजियम एंड लाइब्रेरी सोसाइटी करने का फैसला लिया गया था. अब इसे औपचारिक रूप दे दिया गया है. जून में हुई इस बैठक की अध्यक्षता रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने की थी, जो सोसायटी के उपाध्यक्ष हैं.
पीएम ने रखा था आइडिया
गौरतलब हो कि 2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीन मूर्ति परिसर में भारत के सभी प्रधानमंत्रियों को समर्पित एक संग्रहालय स्थापित करने का विचार रखा था. इसे NMML की कार्यकारी परिषद ने 25 नवंबर 2016 को अपनी 162वीं बैठक में मंजूरी दे दी थी. अब यह परियोजना पूरी हो गई है और प्रधानमंत्री संग्रहालय 21 अप्रैल 2022 को जनता के लिए खोल दिया गया है.
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केंद्र सरकार पर कांग्रेस नेताओं ने साधा निशाना
जानकारी के लिए बता दें कि कुछ महीने पहले जब इस स्मारक का नाम बदलने की प्रक्रिया शुरू हुई तो कांग्रेस ने मोदी सरकार पर निशाना साधा था. कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा था कि मोदी संकीर्ण मानसिकता और बदले की भावना का दूसरा नाम हैं. 59 वर्षों से अधिक समय से, नेहरू मेमोरियल संग्रहालय और पुस्तकालय एक वैश्विक बौद्धिक मील का पत्थर और पुस्तकों और अभिलेखों का खजाना रहा है. अब से इसे प्रधानमंत्री संग्रहालय एवं सोसायटी कहा जाएगा. प्रधानमंत्री मोदी भारतीय राष्ट्र-राज्य के निर्माता के नाम और विरासत को बदनाम करने, अपमानित करने और नष्ट करने के लिए क्या नहीं करेंगे. अपनी असुरक्षाओं के बोझ तले दबा एक छोटा सा व्यक्ति स्वयंभू विश्व गुरु बना घूम रहा है.