विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने ‘एडवांटेज असम समिट’ में इस परियोजना के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा, “यह प्रोजेक्ट भारत की ‘एक्ट ईस्ट पॉलिसी’ के तहत बेहद अहम है। हालांकि, म्यांमार की स्थिति ने इसके निर्माण में रुकावट डाल दी है। हम म्यांमार की स्थिति को इस महत्वपूर्ण परियोजना को रोकने नहीं दे सकते। हमें व्यावहारिक समाधान तलाशने होंगे ताकि यह आगे बढ़ सके।”
हाईवे के निर्माण कार्य में अब तक 70% काम पूरा हो चुका है, और जुलाई 2023 तक इसका अधिकांश हिस्सा तैयार हो चुका था। हालांकि, बार-बार हो रही देरी के कारण अब तक परियोजना को चालू करने के लिए कोई निश्चित समय सीमा तय नहीं की जा सकी है। पहले यह प्रोजेक्ट दिसंबर 2019 तक पूरा होने का लक्ष्य रखा गया था, लेकिन वर्तमान स्थिति में समयसीमा को लेकर कोई स्पष्टता नहीं है।
इस हाईवे का निर्माण भारत और दक्षिण-पूर्व एशिया के बीच व्यापार और कनेक्टिविटी को सुदृढ़ करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। यह परियोजना न केवल क्षेत्रीय व्यापार को बढ़ावा देगी, बल्कि भारत के उत्तर-पूर्वी राज्यों को भी कनेक्टिविटी की दिशा में अहम लाभ मिलेगा।
इस परियोजना के पूरा होने के बाद, यह भारत के लिए न केवल एक आर्थिक और व्यापारिक मार्ग होगा, बल्कि इस क्षेत्र के देशों के साथ सहयोग और एकजुटता को बढ़ाने का भी एक प्रमुख साधन बनेगा। हालांकि, म्यांमार की राजनीतिक और सुरक्षा स्थिति इस दिशा में एक बड़ी चुनौती बन रही है, जिससे भारत को व्यावहारिक समाधान तलाशने की आवश्यकता है।
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