KNEWS DESK- उत्तर प्रदेश के अयोध्या में इस दीपावली का त्योहार विशेष रूप से यादगार है, क्योंकि यह श्रीरामलला की भव्य मंदिर में विराजने के बाद पहली दीपावली है। 500 वर्षों के संघर्ष के बाद रामलला के इस भव्य महल में विराजमान होने के कारण अयोध्या में उत्सव का माहौल है।
दीपोत्सव की धूम
अयोध्यावासियों का उत्साह हर तरफ देखने को मिल रहा है। रामनगरी में विभिन्न समुदायों की भागीदारी इस बार की दीपावली को और खास बना रही है। मुस्लिम, जैन, और सिख समाज के लोग भी दीपोत्सव में शामिल होने की तैयारी कर रहे हैं। रामनगरी के 37 जातीय मंदिर भी इस अवसर पर रोशन होंगे, जिससे दीपोत्सव की रौनक और बढ़ जाएगी।
राम की वापसी का पर्व
दीपावली का पर्व लंका विजय के बाद श्रीराम के अयोध्या लौटने की खुशी में मनाया जाता है। इस बार, अयोध्यावासियों का उत्साह इसलिए दोगुना है क्योंकि रामलला को पांच सदी के वनवास के बाद भव्य महल में विराजने का अवसर मिला है।
सभी के लिए एक समान उत्सव
अयोध्या का दीपोत्सव जाति और धर्म की सीमाएँ तोड़ता नजर आ रहा है। मठ-मंदिर, चौक-चौराहे, घाटों से लेकर घर-घर दीप जलेंगे। यह दीप न केवल खुशी के प्रतीक होंगे, बल्कि रामनगरी की तरक्की का भी संदेश देंगे। साधु-संतों और हिंदू समाज के साथ-साथ मुस्लिम, सिख और जैन समाज भी इस दीपोत्सव में शामिल होकर अपने-अपने रीति-रिवाजों के साथ इसे मनाएंगे।
जैन समाज की सहभागिता
जैन मंदिर रायगंज के पीठाधीश स्वामी रवींद्र कीर्ति ने कहा कि अयोध्या जैन धर्म की भी महत्वपूर्ण तीर्थ भूमि है। इस पावन अवसर पर, जैन मंदिर को 11 हजार दीपों से रोशन किया जाएगा और अनुष्ठान कर जरूरतमंदों की सेवा की जाएगी, जो श्रीराम की मानवता का संदेश फैलाएगा।
एक नई पहचान
इस दीपोत्सव ने अयोध्या को नई पहचान दी है। राममंदिर के निर्माण से न केवल धार्मिक बल मिला है, बल्कि यह समरसता और एकता का प्रतीक भी बन गया है। अयोध्या में इस दीपावली का उत्सव निश्चित रूप से खास है, क्योंकि यह रामलला के भव्य स्वागत का अवसर है। इस तरह, अयोध्या की दीपावली न केवल धार्मिक महत्व रखती है, बल्कि यह समाज के सभी वर्गों के बीच एकता और भाईचारे का प्रतीक बनकर उभरी है।
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