KNEWS DESK- पश्चिम बंगाल में प्रशिक्षु महिला डॉक्टर की दुष्कर्म के बाद हत्या के मामले ने एक महीने से अधिक समय में कई मोड़ों का सामना किया है। इस मामले की जांच अब केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा की जा रही है, और हाल ही में जांच में कुछ चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं।
डॉ. संदीप घोष और अभिजीत मंडल की गिरफ्तारी
सीबीआई ने हाल ही में आरजी कर मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल डॉ. संदीप घोष और ताला पुलिस स्टेशन के प्रभारी अधिकारी अभिजीत मंडल को गिरफ्तार किया है। डॉ. घोष पर पहले से ही वित्तीय अनियमितताओं के आरोप थे, लेकिन अब उन पर सबूतों से छेड़छाड़ का भी आरोप लगा है। वहीं, अभिजीत मंडल को दुष्कर्म और हत्या के मामले में सबूतों से छेड़छाड़ करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है।
आरोप और जांच के नए पहलू
सीबीआई ने अदालत में कहा कि डॉ. घोष और अभिजीत मंडल के बीच कुछ घंटों पहले बातचीत हुई थी, जब डॉक्टर का शव अस्पताल परिसर में मिला था। सीबीआई के वकील ने अदालत को बताया कि एफआईआर की रात को दर्ज की गई थी, और उनके पास कॉल रिकॉर्ड्स हैं जो दोनों के बीच बातचीत का सबूत प्रदान करते हैं। जांच एजेंसी का कहना है कि इस मामले में कोई सांठगांठ हो सकती है और इसे उजागर करने की जरूरत है।
एफआईआर में देरी और आत्महत्या का प्रयास
कलकत्ता हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने एफआईआर दर्ज करने में हुई देरी पर सवाल उठाए हैं। डॉक्टर का शव मिलने के 14 घंटे बाद एफआईआर दर्ज की गई थी। अदालतों ने पूछा कि डॉ. घोष के नेतृत्व में अस्पताल प्रशासन ने पुलिस में शिकायत क्यों नहीं दर्ज कराई। सीबीआई ने बताया कि एफआईआर दर्ज करना अस्पताल प्रशासन का दायित्व था और उन्होंने इसे आत्महत्या के रूप में आंकने की कोशिश की, जो एक बड़ी चूक थी।
अभिजीत मंडल के वकील की प्रतिक्रिया
अभिजीत मंडल के वकील ने सीबीआई के आरोपों को खारिज किया है और कहा कि उनके खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं है। उन्होंने इसे कर्तव्यहीनता का मामला बताया और कहा कि इसके लिए विभागीय जांच की जा सकती थी, न कि गिरफ्तारी की।
मामले को दबाने की संभावना
सीबीआई ने अदालत को बताया कि अभिजीत मंडल दुष्कर्म और हत्या के मामले के आरोपी नहीं हैं, लेकिन उनकी मामले को दबाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है। यह दुष्कर्म और हत्या का मामला सीबीआई की जांच में आया पहला बड़ा मोड़ है। इससे पहले, कोलकाता पुलिस ने सिविक वालेंटियर संजय रॉय को गिरफ्तार किया था, और सीबीआई ने जांच का जिम्मा संभालने के बाद से मामले में प्रगति पर सवाल उठाया गया है। यह मामला पश्चिम बंगाल की राजनीति और न्याय व्यवस्था के लिए एक गंभीर चुनौती बन चुका है, और इसमें शामिल व्यक्तियों की भूमिका का खुलासा न्याय के लिए आवश्यक होगा।
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