महाराष्ट्र में छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा ढहने पर सीएम एकनाथ शिंदे का बड़ा बयान, ‘100 बार पैर छूने को तैयार’

KNEWS DESK- महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने छत्रपति शिवाजी महाराज की 35 फुट ऊंची प्रतिमा के ढहने की घटना के बाद सार्वजनिक रूप से अपनी माफी की पेशकश की है। शिंदे ने गुरुवार को कहा कि अगर आवश्यक हो, तो वह महान मराठा शासक के 100 बार पैर छूने और इस घटना के लिए माफी मांगने में संकोच नहीं करेंगे। इस टिप्पणी के माध्यम से शिंदे ने राज्य में जनता की नाराजगी को शांत करने की कोशिश की है।

सिंधुदुर्ग जिले की मालवण तहसील में 26 अगस्त को छत्रपति शिवाजी महाराज की 35 फुट ऊंची प्रतिमा ढह गई थी, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा नौ महीने पहले अनावरण की गई थी। इस घटना ने राज्य में भारी राजनीतिक विवाद पैदा कर दिया था, विशेष रूप से चुनावी मौसम के बीच।

सत्तारूढ़ राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के उपमुख्यमंत्री अजीत पवार के नेतृत्व में पार्टी के सदस्यों ने पूरे राज्य में मौन विरोध प्रदर्शन किया। इसके बाद, सीएम एकनाथ शिंदे ने शिवाजी महाराज के प्रति अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि “शिवाजी महाराज महाराष्ट्र के संरक्षक देवता हैं। हम उनकी आदर्शों को ध्यान में रखते हुए काम कर रहे हैं। अगर जरूरत पड़ी, तो मैं 100 बार उनके पैर छूने और इस घटना के लिए माफी मांगने को तैयार हूं।”

राज्य सरकार की कार्रवाई और भारतीय नौसेना का सहयोग

महाराष्ट्र सरकार ने प्रतिमा ढहने की घटना के कारणों की जांच के लिए एक तकनीकी समिति का गठन किया है। इस बीच, भारतीय नौसेना ने भी इस परियोजना को संभालने और प्रतिमा की मरम्मत करने में सहायता करने की बात की है। नौसेना ने कहा कि उसने इस परियोजना की संकल्पना की थी और राज्य सरकार के साथ मिलकर इसे कार्यान्वित किया था। वह प्रतिमा की मरम्मत और पुनःस्थापना के लिए हर संभव सहायता प्रदान करने को प्रतिबद्ध है।

मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने आश्वस्त किया है कि जल्द ही शिवाजी महाराज की प्रतिमा को फिर से स्थापित किया जाएगा। राज्य सरकार और भारतीय नौसेना मिलकर इस परियोजना को पुनर्जीवित करने की दिशा में काम कर रहे हैं। शिवाजी महाराज की प्रतिमा ढहने की घटना ने न केवल राजनीतिक चर्चाओं को जन्म दिया बल्कि राज्य की प्रशासनिक और तकनीकी क्षमता पर भी सवाल उठाए हैं। इस घटना के बाद, सरकार ने अपने कदम उठाने शुरू कर दिए हैं, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों और लोगों की भावनाओं का सम्मान किया जा सके।

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