KNEWS DESK- सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को बुलडोजर एक्शन केस पर सुनवाई हुई, जिसमें न्यायालय ने स्पष्ट किया कि सार्वजनिक सुरक्षा सर्वोपरि है। कोर्ट ने आदेश दिया कि सड़क, जल निकायों या रेल पटरियों पर अतिक्रमण करने वाले किसी भी धार्मिक ढांचे को हटाया जाना चाहिए। इस सुनवाई में न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है और बुलडोजर कार्रवाई तथा अतिक्रमण विरोधी अभियान का निर्देश सभी नागरिकों के लिए है, चाहे वे किसी भी धर्म को मानते हों।
सॉलिसीटर जनरल का सुझाव
सुनवाई के दौरान उत्तर प्रदेश सरकार के लिए सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता उपस्थित रहे। उन्होंने सुझाव दिया कि नोटिस भेजने की प्रक्रिया रजिस्टर्ड डाक के माध्यम से की जानी चाहिए और 10 दिन का समय दिया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि वर्तमान में एक विशेष समुदाय को निशाना बनाए जाने की छवि बनाई जा रही है।
धर्मनिरपेक्षता का जोर
इस पर जस्टिस गवई ने कहा कि हमें एक धर्मनिरपेक्ष व्यवस्था में रहना है, और अवैध निर्माण चाहे हिंदू का हो या मुस्लिम का, उसके खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए। तुषार मेहता ने सहमति जताई और कहा कि यही प्रक्रिया अपनाई जाती है।
न्यायालय की चिंताएँ
जस्टिस विश्वनाथन ने यह भी कहा कि यदि दो अवैध ढांचे हैं और केवल एक को गिराया जाता है, तो इससे सवाल उठेंगे। जस्टिस गवई ने बताया कि जब वे मुंबई में जज थे, तब भी उन्होंने फुटपाथ से अवैध निर्माण हटाने का आदेश दिया था। उन्होंने स्पष्ट किया कि किसी व्यक्ति के अपराध का आरोपी या दोषी होना मकान गिराने का आधार नहीं हो सकता और इसे ‘बुलडोजर जस्टिस’ के रूप में देखा जा रहा है।
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