KNEWS DESK- चर्चित रेप और हत्या मामले में आरोपी संजय राय का नार्को टेस्ट कराने के लिए सीबीआई को सियालदह कोर्ट से मंजूरी मिल गई है। अदालत ने यह फैसला सीबीआई द्वारा दाखिल आवेदन के बाद दिया है, जिसमें इस टेस्ट के माध्यम से जांच को आगे बढ़ाने की अपील की गई थी।
नार्को टेस्ट की आवश्यकता क्यों?
सीबीआई इस जघन्य अपराध की जांच में संजय राय की संलिप्तता को लेकर पूर्ण आश्वासन चाहती है। नार्को और पॉलीग्राफ टेस्ट के परिणामों के बीच सामंजस्य स्थापित करना जांच एजेंसी के लिए महत्वपूर्ण है। इससे यह स्पष्ट हो सकेगा कि आरोपी के बयानों में कितनी सच्चाई है और क्या वह जांच में सहयोग कर रहा है। जांच टीम का कहना है कि एम्स के विशेषज्ञों द्वारा परीक्षण के बाद आने वाली रिपोर्ट इस प्रक्रिया को और ठोस बनाएगी।
क्या होता है नार्को टेस्ट?
नार्को टेस्ट में व्यक्ति को एक विशेष प्रकार की दवा दी जाती है, जिससे वह आंशिक रूप से अचेत हो जाता है। इस स्थिति में उसे सत्य उगलवाने के लिए सवाल पूछे जाते हैं, जिसे सामान्य पूछताछ में व्यक्ति छिपा सकता है। यह टेस्ट उन मामलों में किया जाता है, जब व्यक्ति पूछताछ में सहयोग नहीं करता या अपराध से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी छिपाता है। नार्कोएनालिसिस जटिल मामलों की गुत्थी सुलझाने में अहम साबित होता है, खासकर जब अन्य सभी जांच विधियां असफल हो जाती हैं।
संजय राय के दांतों के नमूने भी लिए गए
इससे पहले सीबीआई ने संजय राय के दांतों के निशानों के नमूने लिए थे। जांच एजेंसी ने महिला के शरीर पर काटने के निशान पाए थे, जिनका जिक्र पोस्टमार्टम रिपोर्ट में भी हुआ था। अधिकारियों का मानना है कि इन निशानों का मिलान करने से इस केस के महत्वपूर्ण सुराग मिल सकते हैं और संजय राय की भूमिका पर और अधिक स्पष्टता आ सकेगी।
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