KNEWS DESK- दिल्ली शराब घोटाले से जुड़े मामले में बीआरएस नेता के. कविता को सुप्रीम कोर्ट से सशर्त जमानत मिल गई है। कोर्ट ने उनके जमानत की मांग को स्वीकार कर लिया है, जिससे उनके पांच महीने की जेल के बाद बाहर आने का रास्ता साफ हो गया है। यह निर्णय सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस के वी विश्वनाथन की बेंच ने दिया।
सुप्रीम कोर्ट का महत्वपूर्ण निर्णय
के कविता को 9 मार्च को गिरफ्तार किया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने इस बात पर ध्यान दिया कि कविता के खिलाफ 493 गवाह और 50,000 दस्तावेज हैं, और ट्रायल पूरा होने की संभावना वर्तमान में दूर है। अदालत ने कहा कि महिलाओं के लिए जमानत पर विशेष प्रावधान कानून में मौजूद है, और हाईकोर्ट द्वारा जमानत ना देने का फैसला रद्द कर दिया गया।
सुप्रीम कोर्ट में हुई बहस के दौरान कई महत्वपूर्ण बिंदु उठाए गए-
रोहतगी का तर्क- के कविता के वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि साउथ ग्रुप को पैसे भेजने की कोई बरामदगी नहीं हुई है और यह आरोप कि कविता ने गवाह को धमकाया, सही नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि कविता एक एमएलसी हैं और उन्हें न्याय से भागने की कोई संभावना नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणियाँ- जस्टिस गवई ने कहा कि कविता कमजोर महिला नहीं हैं और उन्होंने हल्के अंदाज में टिप्पणी की कि वह जानती हैं कि क्या सही है और क्या गलत। जस्टिस विश्वनाथन ने मैसेज डिलीट करने को नकारात्मक सबूत मानने की आलोचना की और इसे सामान्य बात बताया।
ASG राजू का विरोध- अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल राजू ने जमानत का विरोध करते हुए कहा कि कविता का व्यवहार सबूतों से छेड़छाड़ करने और गवाहों को धमकाने जैसा रहा है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने उनकी आशंका को खारिज करते हुए कहा कि जमानत के मामले में इतनी लंबी बहस नहीं की जानी चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी माना कि ट्रायल के पूरा होने की संभावना दूर है और जांच पूरी हो चुकी है। कोर्ट ने कहा कि जब आरोपी महिला हैं और ट्रायल लंबा चल रहा है, तो जमानत पर विचार करना न्यायसंगत है। यह जमानत ED और CBI के लिए एक बड़ा झटका है, जिन्होंने कविता की जमानत का विरोध किया था। कोर्ट के इस आदेश के साथ, के कविता को जेल से बाहर आने का रास्ता साफ हो गया है, और उनके खिलाफ मामले की कानूनी प्रक्रिया अब जारी रहेगी।
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