बिहार की ‘कोकिला’ शारदा सिन्हा का निधन, पटना में राजकीय सम्मान के साथ दी जाएगी अंतिम विदाई

KNEWS DESK-  बिहार की प्रसिद्ध लोक गायिका और ‘बिहार कोकिला’ के नाम से मशहूर शारदा सिन्हा का 5 नवंबर को दिल्ली में निधन हो गया। वह 72 वर्ष की थीं और लंबे समय से बीमारी से जूझ रही थीं। शारदा सिन्हा के निधन की खबर छठ महापर्व के नहाय-खाय की संध्या पर आई, जो बिहारवासियों के लिए गहरी शोक की घड़ी बन गई। उनके गाए हुए गीतों के बिना छठ पूजा अधूरी मानी जाती थी, और इस पर्व के दौरान उनकी आवाज़ की गूंज हमेशा सुनाई देती थी।

अंतिम यात्रा: दिल्ली से पटना

शारदा सिन्हा का पार्थिव शरीर दिल्ली स्थित एम्स अस्पताल से बुधवार को पटना के लिए रवाना हो चुका है। एयर इंडिया की फ्लाइट से उनका शव पटना लाया जा रहा है, जहां दोपहर 12 बजे के बाद अंतिम दर्शन के लिए उनका पार्थिव शरीर रखा जाएगा। शारदा सिन्हा को पटना में राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी जाएगी, और गुरुवार को उनका अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान के साथ गुलबी घाट पर किया जाएगा।

गुलबी घाट, पटना का एक ऐतिहासिक और पवित्र स्थल है, जो सदियों से अंतिम संस्कार के लिए उपयोग किया जाता रहा है। यहीं पर शारदा सिन्हा के पति का भी कुछ महीने पहले अंतिम संस्कार किया गया था। उनका अंतिम संस्कार उसी स्थान पर होगा, जो उनके जीवन की तरह ही एक गहरी भावनात्मक और सांस्कृतिक कड़ी को जोड़ने वाला स्थल है।

बिहार की संस्कृति और आस्था का प्रतीक

शारदा सिन्हा का संगीत केवल एक कलाकार का नहीं, बल्कि बिहार की सांस्कृतिक धरोहर का हिस्सा बन चुका था। उनके गाए गीत न केवल धार्मिक आयोजनों, खासकर छठ पूजा, के अभिन्न हिस्सा थे, बल्कि उन्होंने लोक संगीत को एक नई पहचान दी थी। उनकी आवाज़ ने बिहार की संस्कृति और आस्था को देश-विदेश में प्रतिष्ठित किया।

शारदा सिन्हा के निधन के साथ बिहार ने एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक धरोहर खो दी है। उनका संगीत केवल एक ध्वनि नहीं, बल्कि बिहार के लोगों की आत्मा का हिस्सा बन चुका था। उनका योगदान समाज को एकजुट करने, आस्था और संस्कृति को सहेजने का था।

राजकीय सम्मान से अंतिम विदाई

बिहार सरकार ने शारदा सिन्हा को राजकीय सम्मान देने का निर्णय लिया है, जो उनके योगदान को सम्मानित करने का एक तरीका है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी शारदा सिन्हा के निधन पर गहरी संवेदना व्यक्त की थी। शारदा सिन्हा ने अपने गीतों के माध्यम से न केवल संगीत को एक नई दिशा दी, बल्कि बिहार की लोक संस्कृति और आस्था को देश-दुनिया में मशहूर किया।

उनकी आवाज़ से जुड़े हर गीत में एक विशेष शांति और आस्था की भावना थी, जो सीधे लोगों के दिलों से जुड़ जाती थी। शारदा सिन्हा के द्वारा गाए गए गीत छठ पूजा के दौरान हर घर में गाए जाते थे और इन गीतों को सुनते हुए लाखों लोग इस महापर्व में भाग लेते थे।

अंतिम विदाई के लिए तैयार पटना

पटना में शारदा सिन्हा के अंतिम दर्शन के लिए उनके परिवार, दोस्तों और चाहने वालों का हुजूम उमड़ने की संभावना है। शारदा सिन्हा का पार्थिव शरीर उनके घर लाने के बाद, उनके प्रशंसकों को उन्हें आखिरी बार नमन करने का मौका मिलेगा। शारदा सिन्हा के निधन के बाद बिहार में शोक का माहौल है, लेकिन उनका संगीत हमेशा हमारे बीच जीवित रहेगा।  उनकी विरासत को आगे बढ़ाने का कार्य उनके परिवार और संगीत प्रेमियों द्वारा किया जाएगा। शारदा सिन्हा की आवाज़ अब हमारे बीच नहीं है, लेकिन उनके द्वारा छोड़ी गई धरोहर सदैव अमर रहेगी।

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