राजस्थान में भजनलाल सरकार का बड़ा फैसला, विद्यालयों में वाइस प्रिंसिपल के पद को समाप्त करने का लिया निर्णय

KNEWS DESK – राजस्थान सरकार ने प्रदेश के विद्यालयों में वाइस प्रिंसिपल के पद को समाप्त करने का महत्वपूर्ण फैसला लिया है। शिक्षा विभाग की हालिया समीक्षा बैठक में वाइस प्रिंसिपल के पद को “डाइंग कैडर” बनाने पर सहमति बनी। इसके बाद, राज्य के विद्यालयों में इस पद को पुनः नहीं भरा जाएगा, और जिन शिक्षकों ने इस पद पर कार्य किया है, उन्हें पदोन्नति प्रदान की जाएगी। यह कदम शिक्षक संगठनों की लंबे समय से चली आ रही मांग के बाद उठाया गया है।

वाइस प्रिंसिपल के 12,421 पद स्वीकृत, आधे से अधिक खाली

बता दें कि राज्य में फिलहाल 12,421 वाइस प्रिंसिपल पद स्वीकृत हैं, जिनमें से अधिकांश पद खाली पड़े हुए हैं। समीक्षा बैठक में विभाग के अधिकारियों ने यह स्वीकार किया कि स्कूलों में प्रिंसिपल और वाइस प्रिंसिपल दोनों पदों की आवश्यकता नहीं है। इसके चलते वाइस प्रिंसिपल पद के गठन ने शिक्षकों की कमी को बढ़ाया, साथ ही व्याख्याताओं को आर्थिक नुकसान भी हुआ। अब, वाइस प्रिंसिपल के पद को समाप्त कर दिया जाएगा, और इन पदों पर कार्यरत शिक्षक सीधे व्याख्याता के रूप में सेवा देंगे। इससे विद्यालयों में शिक्षकों की संख्या में बढ़ोतरी होगी और विद्यालयों को गुणवत्ता वाली शिक्षा प्रदान करने में मदद मिलेगी।

शिक्षकों को आर्थिक लाभ होगा

शिक्षक संघ ने लंबे समय से वाइस प्रिंसिपल के पद को समाप्त करने की मांग की थी, और अब सरकार द्वारा लिया गया यह फैसला उन्हें आर्थिक रूप से लाभकारी साबित होगा। विपिन शर्मा, जो प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष हैं, ने कहा कि इस कदम से प्रवक्ताओं को सीधे प्रिंसिपल के पद पर पदोन्नति मिलने का अवसर मिलेगा। वर्तमान में, व्याख्याता 4800 ग्रेड पे से पदोन्नति लेकर 5400 ग्रेड पे पर वाइस प्रिंसिपल बनते हैं। लेकिन अब, जब उन्हें सीधे प्रिंसिपल के पद पर पदोन्नति मिलेगी, तो उन्हें 6600 ग्रेड पे मिलेगा, जिससे उन्हें आर्थिक रूप से नुकसान नहीं होगा।

गहलोत सरकार के दौरान सृजित हुआ था वाइस प्रिंसिपल का पद

यह पद पहले अशोक गहलोत सरकार के दौरान उप-प्रधानाचार्य (वाइस प्रिंसिपल) के रूप में सृजित किया गया था। हालांकि, वर्तमान में गहलोत सरकार के इस फैसले को पलटने की तैयारी की जा रही है। शिक्षा विभाग का मानना है कि उप-प्रधानाचार्य के पद को अनावश्यक रूप से सृजित किया गया था और इसके खत्म होने से व्याख्याताओं को सीधे प्राधानाचार्य के पद पर पदोन्नति का लाभ मिलेगा।

भविष्य में सुधार की दिशा

वाइस प्रिंसिपल के पद को समाप्त करने से राज्य में स्कूलों के कार्यकलाप में सुधार होने की उम्मीद है। यदि उप-प्रधानाचार्य को प्रमोट कर प्रिंसिपल के खाली पदों को भरा जाता है, तो खाली पदों की स्थिति में सुधार होगा और स्कूलों में शिक्षकों की कमी दूर होगी। इस निर्णय से विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त करने में मदद मिलेगी, और राज्य में शिक्षा व्यवस्था में सकारात्मक बदलाव आएगा।

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