KNEWS DESK- दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सोमवार यानी आज सुप्रीम कोर्ट में एक नई याचिका दायर की है, जिसमें उन्होंने दिल्ली आबकारी नीति मामले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस में सीबीआई द्वारा की गई गिरफ्तारी को चुनौती दी है। यह कदम मनीष सिसोदिया की जेल से बाहर आने के बाद उठाया गया है, जो कि इसी मामले में जमानत प्राप्त करने में सफल रहे हैं।
दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती
5 अगस्त को, दिल्ली हाईकोर्ट ने अरविंद केजरीवाल की सीबीआई की ओर से की गई गिरफ्तारी को वैध ठहराया था। कोर्ट ने कहा कि उनकी गिरफ्तारी न तो अवैध थी और न ही बिना कारण की गई थी। इस फैसले के खिलाफ अरविंद केजरीवाल ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। उनकी याचिका को एडवोकेट विवेक जैन के माध्यम से दायर किया गया है, जिसमें मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ के समक्ष उनकी याचिका का उल्लेख किया गया।
सुप्रीम कोर्ट की पहले की जमानत और सीबीआई की गिरफ्तारी
12 जुलाई को, सुप्रीम कोर्ट ने अरविंद केजरीवाल को ईडी केस में अंतरिम जमानत प्रदान की थी, यह फैसला उनकी 90 दिनों से जेल में बंद रहने की स्थिति को देखते हुए लिया गया था। हालांकि, सीबीआई द्वारा 26 जून को की गई गिरफ्तारी के कारण उनकी जमानत पर असर पड़ा है। सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही मनीष सिसोदिया को जमानत दी थी, यह मानते हुए कि वह 17 महीनों से जेल में हैं और ट्रायल के जल्द शुरू होने की संभावना नहीं है।
मुख्य न्यायाधीश की टिप्पणियाँ और अगला कदम
सीजेआई चंद्रचूड़ ने केजरीवाल की याचिका पर टिप्पणी करते हुए कहा कि सेक्शन 45 (पीएमएलए) के तहत जमानत के तीन आदेश हैं और केजरीवाल की याचिका बिना इस सेक्शन के प्रावधान के दायर की गई है। उन्होंने याचिका पर विचार के लिए ईमेल भेजने की सलाह दी।
केजरीवाल की याचिका सुप्रीम कोर्ट में आगे की प्रक्रिया का हिस्सा होगी, और इससे जुड़े राजनीतिक और कानूनी प्रभाव पर ध्यान देना आवश्यक होगा। यह मामला न केवल दिल्ली की राजनीति को प्रभावित कर रहा है, बल्कि भारतीय न्यायपालिका के लिए भी एक महत्वपूर्ण प्रकरण है। सुप्रीम कोर्ट का निर्णय इस मामले की आगे की दिशा को निर्धारित करेगा और यह देखना होगा कि क्या केजरीवाल को सीबीआई की गिरफ्तारी के खिलाफ राहत मिलेगी या नहीं।
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