देहरादून, उत्तराखंड में भर्ती परीक्षाओं पर रार थम नहीं रही है। कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दल बरोजगारों पर हुए लाठीचार्ज के मुद्दे पर सरकार को घेर रहे हैं…..इन सबके बीच राज्यपाल ने धामी सरकार द्वारा बनाए गए देश के सबसे कढ़ोरतम कानूनों में से एक नकल विरोधी कानून को मंजूरी दे दी है। सरकार की ओर से बनाए गए इस सख्त कानून के साथ ही मुख्यमंत्री धामी ने पटवारी परीक्षा की जांच जज की निगरानी में कराने का फैसला लिया है। सरकार ने सीबीआई जांच की मांग खारिज करते हुए कहा है कि हाईकोर्ट पहले ही इस विकल्प को अस्वीकार कर चुका है। ऐसे में सरकार ने जज की निगरानी में पटवारी परीक्षा कराने का फैसला लिया है। सरकार की तरफ से लिए जा रहे है एकाएक कड़े फैसलों के बाद भी राज्य में सियासत थम नहीं रही है कांग्रेस प्रदेशभर में धामी सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रही है। इसके साथ ही कांग्रेस ने चरणबद्ध तरीके से धामी सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करने का फैसला लिया है। ऐसे में सवाल ये है कि जब सरकार सख्त कानून भी बना रही है और जज की निगरानी में जांच भी कर रही है तो ऐसे में सियासत क्यों की जा रही है
देवभूमि उत्तराखंड में भर्ती परीक्षाओं पर हंगामा जारी है। कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दलों के निशाने पर सीएम धामी है।…..कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दलों ने सीएम धामी के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। विपक्ष और युवाओं के हंगामे के बीच राज्यपाल ने धामी सरकार द्वारा बनाए गए देश के सबसे कढ़ोरतम कानूनों में से एक नकल विरोधी कानून को मंजूरी दे दी है। ये नकल विरोधी कानून इस अपराध के लिए देश के सबसे कठोर कानूनों में से एक है. इसके तहत नकल करने वाले व पेपर लीक करने वालों पर कार्रवाई के लिए सख्त प्रावधान किए गए हैं। नया कानून लागू होने के बाद पेपर लीक करने वालों को उम्रकैद की सजा के साथ 10 करोड़ रुपये तक जुर्माना अदा करना पड़ेगा। बड़ी बात ये है कि सरकार नकल कराने के आरोपियों की संपत्ति भी कुर्क करेगी। इस कानून के तहत अपराध गंभीर, गैर जमानती होगा….
आपको बता दें कि नकल विरोधी कानून बनाने के साथ ही मुख्यमंत्री धामी ने पटवारी परीक्षा की जांच जज की निगरानी में कराने का फैसला लिया है। सरकार ने सीबीआई जांच की मांग खारिज करते हुए कहा है कि हाईकोर्ट पहले ही इस विकल्प को अस्वीकार कर चुका है। ऐसे में सरकार ने जज की निगरानी में पटवारी परीक्षा कराने का फैसला लिया है। सरकार ने सीबीआई जांच की मांग खारिज करते हुए कहा है कि हाईकोर्ट पहले ही इस विकल्प को अस्वीकार कर चुका है। ऐसे में सरकार ने जज की निगरानी में पटवारी परीक्षा कराने का फैसला लिया है। सरकार की तरफ से लिए जा रहे है एकाएक कड़े फैसलों के बाद भी राज्य में सियासत थम नहीं रही है
कुल मिलाकर देवभूमि में भर्ती परीक्षाओं पर जारी रार थम नहीं रही है और युवाओं पर हुए लाठीचार्ज के बाद तो राज्य की सियासत खूब गरमा गई है. एक और जहां सीएम धामी कड़े फैसले ले रहे हैं तो दूसरी ओर तमाम विपक्षी दलों के नेता इस मुद्दे को नहीं छोड़ रहे हैं सवाल ये है कि क्या युवाओं के आंदोलन के सहारे सत्ता की चाशनी का स्वाद चखने का ख्वाब देखा जा रहा है। क्या नकल विरोधी कानून राज्य में नकल माफियाओं को खत्म कर देगा. क्या युवाओं में दिख रही आंदोलन की आग बीजेपी के लिए खतरा पैदा कर गई है