KNEWS DESK – संसद के शीतकालीन सत्र के छठे दिन मंगलवार को लोकसभा और राज्यसभा की कार्यवाही को विपक्षी दलों के विरोध प्रदर्शन के कारण दोपहर दो बजे तक स्थगित कर दिया गया। इस दौरान न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर चर्चा को लेकर भी विवाद उत्पन्न हो गया, जिससे सदन का माहौल गर्मा गया। केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान के जवाब से असंतुष्ट होकर कांग्रेस और अन्य विपक्षी सांसदों ने लोकसभा से वॉकआउट किया।
विपक्षी दलों का अडाणी, मणिपुर और संभल हिंसा पर जोरदार विरोध
दरअसल विपक्षी दलों ने अडाणी मामले, मणिपुर हिंसा और संभल हिंसा के मुद्दों पर चर्चा की मांग करते हुए संसद में विरोध प्रदर्शन किया। लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी, कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा, डीएमके सांसद कनिमोझी और आप सांसद संजय सिंह समेत कई नेताओं ने अडाणी मामले की संयुक्त संसदीय समिति (JPC) से जांच की मांग की। इन नेताओं के हाथों में बैनर थे, जिनमें अडाणी मामले की पारदर्शी जांच की मांग की जा रही थी।
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला की कड़ी चेतावनी
स्थगन के कारण संसद की कार्यवाही में निरंतर व्यवधान आने पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कड़ी चेतावनी दी है। उन्होंने कहा कि यदि सदन की कार्यवाही में और अवरोध आता है, तो सांसदों को समय की हानि की भरपाई करनी होगी। ओम बिरला ने मंगलवार को कहा कि शनिवार 14 दिसंबर को सदन की कार्यवाही सुबह 11 बजे से शुरू होगी और यदि स्थगन जारी रहा, तो जितने दिन कार्यवाही स्थगित रही है, उतने दिन सांसदों को शनिवार और रविवार को भी कार्यवाही में शामिल होना होगा। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि उन्होंने आज किसी भी स्थगन नोटिस की अनुमति नहीं दी है।
संसद का गतिरोध और समाधान की ओर कदम
संसद का शीतकालीन सत्र 25 नवंबर से शुरू हुआ था और यह 20 दिसंबर तक चलेगा। सत्र के दौरान सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच गतिरोध का माहौल बना रहा है, लेकिन हाल ही में संविधान पर चर्चा करने को लेकर एक सहमति बनी है। लोकसभा में 13 और 14 दिसंबर को संविधान पर चर्चा होगी, जबकि राज्यसभा में यह चर्चा 16 और 17 दिसंबर को होगी।
मणिपुर हिंसा पर स्थगन प्रस्ताव पेश
कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने मंगलवार को मणिपुर हिंसा की गंभीर स्थिति पर चर्चा के लिए लोकसभा में स्थगन प्रस्ताव पेश किया। गोगोई ने कहा कि मणिपुर में पिछले 18 महीनों से जारी संघर्ष ने व्यापक हिंसा, विस्थापन और आर्थिक तबाही को जन्म दिया है, जिससे यह संकट मानवीय समस्या बन चुका है।