UPPSC के फैसले के खिलाफ प्रतियोगी छात्रों का आंदोलन, “न बटेंगे न हटेंगे” का नारा गूंजता रहा

KNEWS DESK-  उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) द्वारा किए गए कुछ फैसलों को लेकर प्रदेश के प्रतियोगी छात्रों में विरोध का आलम बढ़ गया है। छात्रों का कहना है कि आयोग के निर्णय ने उनके भविष्य को दांव पर लगा दिया है, और वे अपनी मांगों को लेकर अड़े हुए हैं। इन छात्रों ने एक नारा गढ़ा है, “न बटेंगे न हटेंगे”, जिसका संदेश साफ है—जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, वे धरना स्थल से नहीं हटेंगे।

धरना स्थल पर छात्रों की एकजुटता और शांतिपूर्ण आंदोलन

छात्रों का धरना चंद्रशेखर आजाद पार्क के पास चल रहा है, जहां सैकड़ों की संख्या में छात्र जुटे हुए हैं। छात्रों के हाथों में तख्तियां थीं, जिन पर नारे लिखे हुए थे, और वे इन नारों के जरिए यूपीपीएससी के फैसले के खिलाफ अपनी नाराजगी जाहिर कर रहे थे। इस आंदोलन में छात्र किसी भी राजनीतिक दल या छात्र संगठन के झंडे नहीं लहरा रहे थे। केवल तिरंगा लहरा रहा था और शहीद चंद्रशेखर आजाद, भगत सिंह और महात्मा गांधी की तस्वीरें धरना स्थल पर नजर आ रही थीं।

छात्रों ने बार-बार यह संदेश दिया कि उनका आंदोलन शांतिपूर्ण है और वे अपनी मांगों को लेकर दृढ़ संकल्पित हैं। उनका कहना है कि जब तक यूपीपीएससी की ओर से नॉर्मलाइजेशन को निरस्त करने और दो दिन परीक्षा आयोजित करने का नोटिस जारी नहीं किया जाता, तब तक वे धरने से नहीं उठेंगे।

नॉर्मलाइजेशन और परीक्षा केंद्रों को लेकर छात्रों के सवाल

छात्रों का आरोप है कि यूपीपीएससी ने नॉर्मलाइजेशन (समान मूल्यांकन) लागू कर उन्हें असमान अवसर दिए हैं। उनका कहना है कि अगर पर्याप्त संख्या में परीक्षा केंद्र नहीं मिल पा रहे हैं, तो आयोग के पास विकल्प मौजूद हैं। वे मानते हैं कि सरकारी मेडिकल कॉलेज, इंजीनियरिंग कॉलेज, विश्वविद्यालयों और पॉलीटेक्निक संस्थानों को भी परीक्षा केंद्र के रूप में उपयोग किया जा सकता है, जिससे परीक्षा में समानता सुनिश्चित की जा सके।

इसके साथ ही छात्रों ने यह भी सवाल उठाया कि प्रश्नपत्रों की सुरक्षा को लेकर जिस शासनादेश के तहत निजी स्कूलों और कॉलेजों को परीक्षा केंद्र बनाया गया, उसमें बदलाव की गुंजाइश है। उनका कहना है कि यदि परीक्षा केंद्रों की संख्या बढ़ाई जाए, तो छात्रों का भविष्य सुरक्षित रहेगा।

वार्ता का मंच बना लाउडस्पीकर, प्रशासन से कोई समझौता नहीं

देर तक चली वार्ता के दौरान आयोग और छात्रों के प्रतिनिधियों के बीच लाउडस्पीकर के जरिए संवाद चलता रहा। आयोग के प्रतिनिधि बार-बार छात्रों से धरना समाप्त करने की अपील कर रहे थे, लेकिन छात्र किसी भी कीमत पर पीछे हटने को तैयार नहीं थे। शाम को यह प्रस्ताव भी सामने आया कि आयोग छात्रों की मांगों पर विचार करने के लिए एक कमेटी गठित करेगा, लेकिन छात्रों ने इसे खारिज कर दिया। उनका कहना था कि जब तक नॉर्मलाइजेशन निरस्त करने का नोटिस जारी नहीं होता, तब तक वे धरने से नहीं उठेंगे।

पुलिस और प्रशासन की कोशिशें नाकाम, छात्र अपने फैसले पर अड़े

धरने के दौरान पुलिस और प्रशासन भी छात्रों को समझाने की कोशिश में जुटे रहे। देर रात पुलिस कमिश्नर तरुण गाबा और जिलाधिकारी रविंद्र मांदड़ खुद धरना स्थल पर पहुंचे और छात्रों को समझाने की कोशिश की, लेकिन छात्र अपनी मांगों पर अड़े रहे। उनका कहना था कि जब तक आयोग उनकी मांगें पूरी नहीं करता, वे किसी भी हालत में धरना समाप्त नहीं करेंगे।

आयोग परिसर के बाहर छात्रों का मेला

आयोग परिसर के बाहर दिनभर छात्रों का मेला लगा रहा। छात्रों के बीच लगातार आ रहे पानी की बोतलें, बिस्किट और नमकीन के पैकेट यह दिखाते हैं कि ये छात्र किसी भी हाल में अपनी मांगों को लेकर शांतिपूर्ण तरीके से डटे हुए हैं। उनका विश्वास है कि अगर उनका आंदोलन जारी रहा, तो यूपीपीएससी को उनके पक्ष में निर्णय लेना ही होगा।

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