KNEWS DESK- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह पर चादर चढ़ाएंगे। यह परंपरा हर साल निभाई जाती है, और इस साल भी यह धार्मिक और भक्ति का एक महत्वपूर्ण रूप मानी जा रही है। इस अवसर पर अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू और भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के अध्यक्ष जमाल सिद्दीकी भी चादर लेकर अजमेर जाएंगे। आज शाम 6 बजे प्रधानमंत्री मोदी उन्हें चादर सौंपेंगे, जो दरगाह पर चढ़ाई जाएगी।
प्रधानमंत्री मोदी ने 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद से ख्वाजा साहब के उर्स के मौके पर हर साल दरगाह के लिए चादर भेजी है। यह 11वां मौका होगा जब पीएम मोदी इस परंपरा को निभाएंगे। इससे पहले, पिछले वर्ष 812वें उर्स के दौरान चादर चढ़ाने का कार्य तत्कालीन केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी और जमाल सिद्दीकी ने किया था। यह परंपरा ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह पर श्रद्धा और सम्मान का प्रतीक मानी जाती है।
ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के उर्स का महत्व
28 दिसंबर से ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती का 813वां उर्स शुरू हुआ है, जो धार्मिक आस्था और भक्ति का समय होता है। उर्स के दौरान दरगाह पर चादर चढ़ाना एक शक्ति और आशीर्वाद प्राप्त करने का साधन माना जाता है, जिससे श्रद्धालु अपनी मन्नतों को पूरा करने की कामना करते हैं। ख्वाजा साहब की मजार पर चढ़ाई जाने वाली चादर, न केवल भक्ति का प्रतीक होती है, बल्कि यह प्रेम और सम्मान की भावना को भी दर्शाती है।
अजमेर दरगाह विवाद और महत्व
इस वर्ष पीएम मोदी द्वारा चादर भेजने का विशेष महत्व है, क्योंकि अजमेर दरगाह को लेकर एक विवाद उठ खड़ा हुआ है। कुछ लोगों ने दावा किया है कि अजमेर दरगाह में मंदिर भी स्थित है, और इस मुद्दे को लेकर कोर्ट में मामला चल रहा है। इस विवाद में हिंदू राष्ट्र सेना के अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने चादर भेजने के खिलाफ याचिका दायर की है। उनका कहना था कि प्रधानमंत्री मोदी को चादर नहीं भेजनी चाहिए, जबकि अन्य धार्मिक और सामाजिक संगठन इस परंपरा को जारी रखने के पक्ष में हैं। इस मामले की सुनवाई 24 जनवरी को कोर्ट में होगी, जो एक नई दिशा की ओर इशारा कर सकती है।
प्रधानमंत्री मोदी की धार्मिक सहिष्णुता
प्रधानमंत्री मोदी के लिए यह कदम धार्मिक सहिष्णुता और भारतीय संस्कृति के विविधता को प्रकट करता है। उनका हर साल इस परंपरा को निभाना, एकता और भाईचारे का संदेश देता है। इस बार चादर भेजने का निर्णय और उस पर उठ रहे विवादों के बीच, पीएम मोदी का यह कदम देश में धार्मिक सद्भाव को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। प्रधानमंत्री मोदी का ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह पर चादर भेजना केवल एक धार्मिक रस्म नहीं है, बल्कि यह भारतीय समाज की एकता, अखंडता और विविधता के प्रतीक के रूप में सामने आता है।
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