यूपी विधानसभा 2022 में भाजपा को 272 सीटों की प्रचण्ड जीत दिलवाने वाले योगी आदित्यनाथ सीएम के तौर पर अपनी दूसरी पारी खेलने जा रहे हैं। 25 मार्च, शाम 4 बजे इकाना स्टेडियम में उनकी ताजपोशी होगी। योगी के लिए देश के सबसे बड़ी आबादी वाले राज्य का लगातार दूसरी बार मुख्यमंत्री बनना आसान नहीं था । आइए एक नज़र डालते हैं, यूपी के महाराज के राजनीतिक सफ़र पर…..
भगवा धारी महाराज
योगी आदित्यनाथ गोरखपुर के प्रसिद्ध गोरखनाथ मंदिर के महंत हैं । योगी गोरखनाथ मंदिर के पूर्व महंत अवैद्यनाथ के उत्तराधिकारी हैं। छात्र जीवन में ही राममंदिर आंदोलन से जुड़ने वाले योगी आगे चलकर हिंदू युवा वाहिनी के संस्थापक बने, जो कि हिन्दू युवाओं का सामाजिक, सांस्कृतिक और राष्ट्रवादी समूह है। इसके बाद वह प्रखर हिन्दुत्तव वादी नेता बनकर उभरे। योगी के हिंदुतव के एजेंडे ने उन्हें हिंदुतव का ब्राण्ड एम्बेस्डर बना दिया।
26 की उम्र में बने सांसद
उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल के पंचूर गांव में पांच जून 1972 जन्मे अजय सिंह बिष्ट गोरखपुर पहुंचकर महंत योगी आदित्यनाथ बन गए. 1998 में गोरखपुर से 12वीं लोकसभा का चुनाव जीतकर योगी आदित्यनाथ संसद पहुंचे तो वह सबसे कम उम्र के सांसद थे, वो 26 साल की उम्र में पहली बार सांसद बने। 1998 से लगातार इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। 2017 में महज 45 की आयु में महाराज यूपी के मुख्यमंत्री बन गए।
विपक्ष खस्ताहाल
यूपी में योगी की आंधी का ही असर है कि एंटी इंकमबेंसी के बावजूद भाजपा को ज़बरदस्त बहुमत मिला है। 37 सालों के बाद प्रदेश में सरकार रीपीट करवाने का श्रेय स्वंय सूबे के मुखिया योगी आदित्यनीथ को ही जाता है। योगी के दाँव- पेंच के आगे विपक्ष का हवा महल टिक नहीं पाया। विपक्ष ने कोरोना में प्रदेश की व्यवस्था को मुद्दा बनाया तो महाराज ने जनता में मुफ़्त राशन बँटवा दिया। जहाँ एक ओर विपक्ष अपराधियों को टिकट बाँटने में लगा था वहीं योगी की एनकाउंटर पॉलिसी ने जनता का दिल जीत लिया। यूपी में हमेशा से महिला सुरक्षा एक गंभीर मुद्दा रहा है उसे भी योगी ने एंटी रोमिया स्क्वॉयड से खत्म करने का प्रयास किया है। गोरखपुर के प्रसिद्ध गोरखनाथ मंदिर के महंत हैं। आदित्यनाथ गोरखनाथ मंदिर के पूर्व महंत अवैद्यनाथ के उत्तराधिकारी हैं। वो हिंदू युवा वाहिनी के संस्थापक भी हैं, जो कि हिन्दू युवाओं का सामाजिक, सांस्कृतिक और राष्ट्रवादी समूह है।
योगी को मारने की साजिश
7 सितंबर, 2008 को योगी के काफिले पर हमला हुआ था। टाइम्स ग्रुप बुक्स द्वारा प्रकाशित योगी आदित्यनाथ: अ सैफ्रन सोशलिस्ट नाम की एक किताब में इस हमले का जिक्र किया गया है। किताब के मुताबिक इस दिन योगी आजमगढ़ में विरोधी पार्टियों को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए एक आतंक-विरोधी रैली को संबोधित करने जा रहे थे। उनके काफिले पर चारों तरफ से पत्थरों की बारिश शुरू हो गई। चंद पलों में पेट्रोल बम से हमला किया गया लेकिन इस हमले से महाराज बाल बाल बच गए।