SHIV SHANKAR SAVITA- केन्द्रीय कैबिनेट मंत्री चिराग पासवान ने अपनी ही पार्टी के नेताओं द्वारा दिए गए बयानों और फैसलों के खिलाफ उगंली उठाकर राजनीति में चर्चा ला दी है। एक और जहां भाजपा के वरिष्ठ और शीर्ष स्तर के नेता सड़क और छतों पर नमाज पढ़ने और नवरात्रि में मांस की दुकानें बंद करने के पक्ष में है और इसको लेकर फैसले ले रहे हैं वहीं उनकी ही पार्टी के नेता और केन्द्रीय कैबिनेट मंत्री चिराग पासवान ने अपने ही नेताओं को कठघरे में खड़ा कर दिया है।
चिराग पासवान ने कहा कि सड़कों पर नमाज पढ़ने और नवरात्रि में दुकानें बंद करने की बात फालतू की बातें हैं। इस पर चर्चा की कोई जरूरत नहीं और और चर्चा की गुंजाइश भी नहीं है। लोग अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकने की सोच की वजह से समाज में बंटवारा पैदा करने का प्रयास कर रहे हैं जोकि कतई उचित नहीं है। आज की तारीख में और भी कई बड़े और ज्वलंतशील विषय हैं जिनको लेकर चर्चा होनी चाहिए। दूसरे के धर्म या किसी के भी धर्म को लेकर राजनीतिक दलों को इसके ऊपर कोई टिप्पणी नहीं करनी चाहिए। ये व्यक्तिगत आस्था का विषय है। मैं मानता हूं जिस दिन धार्मिक संगठन चाहे वे किसी भी धर्म से जुड़े हों, राजनीति या राजनीतिक दलों का सरंक्षण करना बंद कर दें और जिस दिन राजनेता और राजनीतिक दल धर्म के विषय में हस्तक्षेप करना बंद कर दें तो उसी दिन कम से कम 90 प्रतिशत समस्या वहीं पर हल हो जाएगी। समस्या तब उत्पन्न होती है जब राजनीतिक सोच के साथ इन विवादों को जन्म दिया जाता है।
पहले भी बयानों के चलते चर्चा में रहे हैं चिराग
1-मैं नीतीश कुमार को हराऊंगा” (2020 विधानसभा चुनाव)
2020 के बिहार विधानसभा चुनाव से पहले चिराग पासवान ने खुलकर नीतीश कुमार के खिलाफ मोर्चा खोला था। उन्होंने कहा था कि वे नीतीश को सत्ता से बाहर करेंगे और बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाएंगे। यह बयान इसलिए विवादित हुआ क्योंकि उनकी पार्टी उस समय एनडीए का हिस्सा थी, और नीतीश भी गठबंधन में थे। चिराग की इस “अलग राह” ने बीजेपी को असहज स्थिति में डाल दिया, और कई लोगों ने इसे गठबंधन धर्म के खिलाफ माना। हालांकि, बाद में बीजेपी ने नीतीश के साथ गठबंधन जारी रखा, और चिराग की पार्टी को नुकसान उठाना पड़ा।
2- मैं हनुमान हूँ, मोदी मेरे राम (2020)
चिराग ने पीएम नरेंद्र मोदी के प्रति अपनी निष्ठा जताते हुए कहा था कि वे उनके लिए हनुमान की तरह हैं और मोदी उनके राम हैं। यह बयान तब विवादित हुआ जब उन्होंने नीतीश कुमार के खिलाफ बगावत की, लेकिन बीजेपी से नजदीकी बनाए रखने की कोशिश की। विपक्ष ने इसे अवसरवादिता करार दिया और कहा कि वे सिर्फ अपनी राजनीतिक जमीन बचाने के लिए ऐसा कर रहे हैं।
3- संविधान और आरक्षण पर समझौता नहीं (अक्टूबर 2024)
चिराग ने एक बयान में कहा था कि अगर संविधान या आरक्षण से छेड़छाड़ हुई, तो वे अपने पिता की तरह केंद्रीय मंत्री पद छोड़ देंगे। यह बयान उस समय विवादित हो गया जब कुछ लोगों ने इसे एनडीए सरकार पर अप्रत्यक्ष हमला माना। हालांकि, बाद में उन्होंने सफाई दी कि उनका इशारा वर्तमान सरकार की ओर नहीं था, लेकिन तब तक यह विपक्ष के लिए एक मुद्दा बन चुका था।
4-मेरे परिवार के बच्चे भी बीपीएससी धांधली से प्रभावित (जनवरी 2025)
बीपीएससी पेपर लीक मामले में चिराग ने स्वीकार किया कि धांधली हुई और उनके परिवार के बच्चे भी प्रभावित हुए। लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि गठबंधन में होने के कारण वे खुलकर बोल नहीं सकते। इस बयान पर विपक्ष ने उन पर निशाना साधा और कहा कि वे सत्ता के लिए चुप्पी साधे हुए हैं, जबकि युवाओं के हित की बात करते हैं।
5-सवर्णों को भी चाहिए आरक्षण
अपने शुरुआती दिनों में चिराग ने एक बार कहा था कि आर्थिक आधार पर सवर्णों को भी आरक्षण मिलना चाहिए। यह बयान दलित समुदाय के बीच उनकी पार्टी की मजबूत पकड़ को देखते हुए विवादित रहा, क्योंकि कई लोगों ने इसे उनके कोर वोट बैंक के खिलाफ माना। बाद में इस पर ज्यादा चर्चा नहीं हुई, लेकिन यह उनकी राजनीतिक छवि के लिए एक जोखिम भरा बयान था।