KNEWS DESK : यूनीफॉर्म सिविल कोड(UCC)जिसे समान नागरिक संहिता के नाम से जाना जाता है । इस समय देशभर में चर्चा का विषय बना हुआ है । कोई इसके पक्ष में तो कोई इसके विपक्ष में बोल रहा है।यूनीफॉर्म सिविल कोड लागू होने पर भारत में विवाह से लेकर तलाक, संपत्ति के अधिकार, उत्तराधिकार और यहां तक की गोद लेने के नियम भी समान हो जाएंगे। यानी इसके लागू होने के बाद हर धर्म, संप्रदाय और जाति के लिए देश में एक समान कानून होंगे। आइये जानें यूनिफॉर्म सिविल कोड का जिक्र पहली बार कब हुआ और इसे देश के किस राज्य में साल 1867 से ही लागू किया गया है।
पहली बार चर्चा में आया था UCC
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार यूनीफॉर्म सिविल कोड (यूसीसी ) का जिक्र 1835 में ब्रिटिश सरकार की एक रिपोर्ट में देखने को मिलता है । रिपोर्ट में कहा गया था कि अपराधों सुबूतों और ठेके जैसे मुद्दों पर समान कानून लागू होना चाहिये । रिपोर्ट में यह कहीं भी नहीं कहा गया था कि इस कानून को लाने के लिए हिंदू और मुसलमानों के धार्मिक कानूनों में कोई फेरबदल या उनसे छेड़छाड़ की जाएगी।
गोवा में क्यों लागू हुआ था UCC
गोवा में आज से नहीं बल्कि 1867 से UCC लागू है।यदि सही मायनों में देखें तो ये कानून1867 में बना था लेकिन इसे लागू 1869 में किया गया था । गोवा में इस वक्त गोवा सिविल कोड लागू है। जिसे गोवा का यूसीसी भी कहा जाता है।हालांकि, जब ये गोवा में लागू किया गया था तब गोवा पुर्तगाल के कब्जे में था, यानी वहां पुर्तगालियों का राज था। इसे इस तरह समझिए कि साल 1867 में पहली बार पुर्तगाल में ये कानून बना और फिर 1869 में इसे पुर्तगाल के सभी उपनिवेशों में भी लागू कर दिया गया। दरअसल, जब 19 दिसंबर को 1961 में गोवा पुर्तगाल से आजाद हुआ और भारत का हिस्सा बना तो वहां कई चीजें बदल गईं। लेकिन 1962 में भारत ने गोवा में लागू पोर्च्युगीस सिविल कोड जो आज गोवा सिविल कोड के नाम से जाना जाता है उसे अपने गोवा, दमन और दिउ एडमिनिस्ट्रेशन एक्ट, 1962 के सेक्शन 5(1) में जगह दे दी। यानी आजाद भारत के हिसाब से देखें तो गोवा में भारत सरकार की सहमति से यूनिफॉर्म सिविल कोड 1962 में लागू हुआ।