वृंदावन में बन रहा भारत का सबसे ऊंचा मंदिर, जहां से आप देख सकेंगे ताजमहल, जारी है निर्माण कार्य

KNEWS DESK- भारत के धार्मिक और सांस्कृतिक इतिहास में एक नई चमकदार कड़ी जुड़ रही है। मथुरा के पवित्र नगर वृंदावन में भगवान कृष्ण की जन्मभूमि पर निर्माणाधीन चंद्रोदय मंदिर, दुनिया का सबसे ऊंचा मंदिर बनने की ओर अग्रसर है। यह मंदिर न केवल अपने धार्मिक महत्व के लिए जाना जाएगा, बल्कि पर्यटकों के लिए भी एक प्रमुख आकर्षण का केंद्र बनेगा।

मंदिर की भव्यता और विशेषताएं

चंद्रोदय मंदिर की ऊंचाई 210 मीटर (688 फीट) होगी, जिससे यह कुतुब मीनार से तीन गुना अधिक ऊंचा और दुबई के बुर्ज खलीफा से भी ऊंचा होगा, क्योंकि इसकी नींव की गहराई 55 मीटर (180 फीट) है, जो बुर्ज खलीफा की नींव से भी 5 मीटर अधिक है। इस विशाल मंदिर का निर्माण कार्य युद्ध स्तर पर चल रहा है, और आधा से अधिक काम पूरा हो चुका है। इसकी पूर्णता की उम्मीद अगले साल तक की जा रही है।

वृंदावन के 10 प्रसिद्ध मंदिर - Idols Cartअद्वितीय वास्तुकला और डिजाइन

यह मंदिर 166 मंजिलों का होगा और पिरामिड के आकार का होगा। मंदिर का निर्माण पारंपरिक नागरा शैली और आधुनिक वास्तुकला के अनूठे सम्मिश्रण से किया जा रहा है। इसके चारों ओर श्रीमद्भागवत और अन्य धार्मिक ग्रंथों में वर्णित 12 कृत्रिम वन बनाए जाएंगे। ये वनों में विविध प्रकार के पेड़-पौधे, फूल और झाड़ियां लगाई जाएंगी, जो न केवल मंदिर की सुंदरता को बढ़ाएंगे बल्कि पर्यावरण को भी स्वच्छ बनाएंगे।

पर्यटकों के लिए एक नया आकर्षण

चंद्रोदय मंदिर के शीर्ष पर एक दूरबीन की सुविधा भी उपलब्ध होगी, जिससे भक्त और पर्यटक ताजमहल के खूबसूरत दृश्य का आनंद ले सकेंगे, जो इस मंदिर से लगभग 80 किलोमीटर दूर स्थित है। इस दूरबीन की मदद से भक्त ताजमहल की अद्भुत सुंदरता का अवलोकन कर सकेंगे, जो इस मंदिर की विशेषता को और भी बढ़ाएगा।

KYB-Conmat: Creating Benchmark at Vrindavan Chandrodaya Mandirनिर्माण की लागत और चुनौतियां

इस भव्य परियोजना पर 500 करोड़ रुपये से अधिक की लागत आ रही है। मंदिर को 8 रिक्टर स्केल के भूकंप और 170 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार वाले तूफान का सामना करने में सक्षम बनाया जा रहा है। परिसर में कार पार्किंग और एक हेलीपैड भी शामिल होगा, जिससे यात्रा और आवागमन की सुविधा बढ़ेगी।

धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व

चंद्रोदय मंदिर का निर्माण अंतर्राष्ट्रीय कृष्णभावनामृत संघ द्वारा किया जा रहा है और इसका शिलान्यास वर्ष 2014 में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने किया था। यह मंदिर न केवल एक धार्मिक स्थल के रूप में महत्वपूर्ण होगा बल्कि अपनी भव्यता और अद्वितीय डिजाइन के कारण वैश्विक दर्शकों को भी आकर्षित करेगा।

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