KNEWS DESK, कांग्रेस वर्किंग कमेटी की आज बैठक है। जिसमें शामिल होने के लिए राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे दिल्ली से बेलगावी रवाना हो गए हैं। इस बैठक को नव सत्याग्रह बैठक नाम दिया गया है।
लोकसभा नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस नेता राहुल गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे गुरुवार को कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक में शामिल होने के लिए दिल्ली स्थित अपने-अपने आवास से कर्नाटक के बेलगावी के लिए रवाना हुए। महात्मा गांधी की अध्यक्षता में बेलगाम सत्र की 100वीं वर्षगांठ मनाने के लिए कर्नाटक के बेलगावी में शुरू होने वाली सीडब्ल्यूसी बैठक में कांग्रेस अगले वर्ष के लिए एक कार्य योजना पर निर्णय लेगी। आज होने वाली कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) की बैठक को ‘नव सत्याग्रह बैठक’ नाम दिया गया है, जिसमें दो प्रस्ताव पारित होंगे। शुक्रवार को बेलगावी में ‘जय बापू, जय भीम, जय संविधान’ रैली आयोजित की जाएगी। सीडब्ल्यूसी सदस्य, स्थायी आमंत्रित सदस्य, विशेष आमंत्रित सदस्य, केंद्रीय चुनाव समिति के सदस्य, प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सदस्य, राज्य के सीएलपी नेता, संसदीय दल के पदाधिकारी और पार्टी के पूर्व मुख्यमंत्रियों सहित लगभग 200 नेता सत्र में हिस्सा लेंगे। वहीं कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक दोपहर तीन बजे होगी और कांग्रेस अध्यक्ष मेहमानों के लिए रात्रिभोज की मेजबानी करेंगे। 27 दिसंबर को खरगे और राहुल गांधी सुवर्णा सौधा में महात्मा गांधी की प्रतिमा का अनावरण करेंगे। कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्दारमैया समारोह की अध्यक्षता करेंगे। साथ ही दोपहर एक बजे विशाल जनसभा भी होगी।
कांग्रेस का ऐतिहासिक अधिवेशन 26 और 27 दिसंबर, 1924 को किया गया था और इसे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में एक महत्वपूर्ण क्षण के रूप में याद किया जाता है। अधिवेशन के दौरान गांधीजी ने चरखे पर सूत कातने की अपील की और असहयोग का आह्वान किया, जो स्वतंत्रता-पूर्व भारत में एक बड़ा आंदोलन बन गया। उस ऐतिहासिक अधिवेशन के मुख्य आयोजक गंगाधर राव देशपांडे थे, जिन्हें कर्नाटक का खादी भगीरथ कहा जाता था। वे बेलगावी में स्वतंत्रता संग्राम के अग्रदूत थे। बेलगावी को उस समय बेलगाम के नाम से जाना जाता था। देशपांडे ने बेलगाम कांग्रेस अधिवेशन की मेजबानी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, जिसकी अध्यक्षता गांधी ने की थी।ऐसा कहा जाता है कि इस अधिवेशन में 70 हजार से ज्यादा लोग एकजुट हुए थे, जो स्वतंत्रता-पूर्व भारत के लिए अभूतपूर्व संख्या थी।