KNEWS DESK- बुधवार दोपहर 12 बजे लोकसभा में भाजपा सरकार वक्फ संशोधन बिल पेश करने जा रही है। वक्फ संशोधन को लेकर कहीं नाराजगी देखी जा रही है तो कहीं इसे सही बताया जा रहा है। चारों तरफ वक्फ बोर्ड और वक्फ संशोधन बिल की चर्चा जोरों पर है। आज हर कहीं इसकी चर्चा हो रही है। आइए जानते है वक्फ बोर्ड का इतिहास….
क्या है भारत में वक्फ का इतिहास
भारत में वक्फ की परंपरा मुगलों और दिल्ली सल्तनत के समय से चली आ रही है। मुस्लिम शासकों ने कई धार्मिक और सामाजिक कार्यों के लिए भूमि और संपत्ति दान की थी। इस संपत्ति का उपयोग इस्लामी धार्मिक संस्थानों, शिक्षा और गरीबों की मदद के लिए किया जाता था। भारत में वक्फ प्रणाली की शुरुआत इस्लाम के आगमन के साथ हुई। दिल्ली सल्तनत (1206-1526) और मुगल साम्राज्य (1526-1857) के दौरान, मुस्लिम शासकों, अमीरों और जमींदारों ने धार्मिक और सामाजिक उद्देश्यों के लिए भूमि और संपत्ति दान की।
ब्रिटिश काल में भी वक्फ जमीन पर रहा विवाद
ब्रिटिश काल में, वक्फ संपत्तियों को लेकर विवाद बढ़ने लगे, क्योंकि कई मामलों में उनके प्रबंधन में अनियमितताएँ देखी गईं। ब्रिटिश सरकार ने वक्फ संपत्तियों के कानूनी प्रबंधन के लिए कई प्रयास किए।
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वक्फ वैलिडिटी एक्ट, 1913 – इस कानून ने वक्फ को एक कानूनी पहचान दी और धार्मिक या परोपकारी उद्देश्यों के लिए स्थायी संपत्ति दान को मान्यता दी।
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वक्फ एक्ट, 1923 – यह कानून वक्फ संपत्तियों के रिकॉर्ड रखने और उनके प्रशासन को विनियमित करने के लिए लाया गया था।
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वक्फ एक्ट, 1930 – इसने वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन को और अधिक व्यवस्थित करने का प्रयास किया।
भारत के आजाद होने के बाद वक्फ बोर्ड की स्थिति
भारत की स्वतंत्रता (1947) के बाद, सरकार ने वक्फ संपत्तियों के बेहतर प्रशासन के लिए एक सशक्त कानून लाने की आवश्यकता महसूस की।
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वक्फ एक्ट, 1954 – इस कानून के तहत प्रत्येक राज्य में राज्य वक्फ बोर्ड की स्थापना की गई।
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वक्फ एक्ट, 1995 – यह एक महत्वपूर्ण संशोधन था, जिसने वक्फ संपत्तियों की सुरक्षा, उनके प्रबंधन में पारदर्शिता और भ्रष्टाचार रोकने के लिए कई कड़े प्रावधान जोड़े गए। इसके तहत केंद्रीय वक्फ परिषद की भी स्थापना हुई।
वक्फ भी तीन प्रकार का होता है
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धार्मिक वक्फ
यह पूरी तरह धार्मिक उद्देश्यों के लिए होता है। उदाहरण के लिए मस्जिद, मदरसा, दरगाह, कब्रिस्तान आदि।
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परोपकारी वक्फ
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यह समाज की भलाई के लिए होता है, जैसे स्कूल, अस्पताल, अनाथालय आदि।
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गरीबों और जरूरतमंदों की सहायता के लिए धन या संपत्ति दी जाती है।
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मिश्रित वक्फ
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इसमें धार्मिक और परोपकारी दोनों उद्देश्यों को पूरा किया जाता है।
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उदाहरण: एक ऐसी संपत्ति जो मस्जिद और गरीबों की मदद के लिए इस्तेमाल की जाती हो।
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भाजपा सरकार आने के बाद वक्फ की स्थिति
सरकार की जांच और समीक्षा
मोदी सरकार के आने के बाद वक्फ बोर्ड द्वारा प्रबंधित संपत्तियों की समीक्षा की गई।
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वर्ष 2023 में सरकार ने राज्यों को वक्फ संपत्तियों का डिजिटल रिकॉर्ड तैयार करने के निर्देश दिए गए।
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कई मामलों में अवैध कब्जों और भ्रष्टाचार की शिकायतों के कारण जांच कमेटियाँ गठित की गईं है।
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कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, दिल्ली और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में वक्फ भूमि पर अवैध कब्जों को हटाने के लिए कार्रवाई हुई है।
सरकारी योजनाओं में संपत्तियों का उपयोग
सरकार ने वक्फ संपत्तियों के उपयोग को लेकर कुछ महत्वपूर्ण निर्णय लिए, जिससे विवाद खड़ा हुआ।
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रेलवे, मेट्रो, हाईवे और अन्य सार्वजनिक परियोजनाओं के लिए वक्फ भूमि का अधिग्रहण किया गया।
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सरकारी योजनाओं (स्कूल, अस्पताल, इंफ्रास्ट्रक्चर) में वक्फ भूमि के उपयोग की अनुमति दी गई।
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इससे कुछ मुस्लिम संगठनों ने आरोप लगाया कि सरकार वक्फ संपत्तियों को निशाना बना रही है।
वर्ष 2023 में हुई थी संशोधन की मांग
सरकार के कुछ नेताओं और हिंदू संगठनों ने वक्फ अधिनियम, 1995 में संशोधन की मांग की।
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आरोप था कि वक्फ बोर्ड को संपत्तियों पर अनुचित विशेषाधिकार मिल रहे हैं।
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सरकार ने नए नियम लागू करने की योजना बनाई, जिससे वक्फ बोर्ड को संपत्तियों के प्रबंधन में अधिक पारदर्शिता लाने को कहा गया।
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इससे मुस्लिम संगठनों ने आशंका जताई कि सरकार वक्फ संपत्तियों पर नियंत्रण करना चाहती है।