उत्तराखंड डेस्क रिपोर्ट, उत्तराखंड में लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुटी सत्ताधारी दल बीजेपी की टेंशन कम होने का नाम नहीं ले रही है। दअरसल राज्य में निकाय चुनाव समय से ना होने पर विपक्ष के हंगामें के बीच अब कोर्ट ने भी सरकार से सवाल जवाब शुरू कर दिये है। बता दें कि नैनीताल हाईकोर्ट में राज्य में समय पर निकाय चुनाव न कराए जाने को लेकर दायर अलग अलग जनहित याचिकाओ पर सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान कोर्ट में पेश हुए अपर सचिव शहरी विकास नितिन भदौरिया ने कहा कि उत्तराखंड सरकार अगले छह माह में राज्य में नगर निकाय चुनाव करा लेगी। नितिन भदौरिया ने सरकार की ओर से कोर्ट को बताया कि निकायों के चुनाव कराने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। आरक्षण तय करने के लिए एक सदस्यीय न्यायिक कमीशन का गठन भी किया है। कोर्ट ने अपर सचिव के बयान रिकॉर्ड करने के बाद दोनों याचिकाओं को लंबित रखते हुए मामले की अगली सुनवाई के लिए 16 अप्रैल की तारीख तय कर दी है। बता दें कि जसपुर निवासी मो. अनीश व अन्य ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा है कि नगर पालिकाओं व नगर निकायों का कार्यकाल बीते दिसम्बर माह में समाप्त हो गया है, लेकिन कार्यकाल समाप्ति के एक माह बाद भी सरकार ने चुनाव कराने का कार्यक्रम घोषित नहीं किया बल्कि निकायों में प्रशासक नियुक्त कर दिए। जबकि निकायों के चुनाव की सरकार को याद दिलाने के लिए पूर्व से ही एक जनहित याचिका कोर्ट में विचाराधीन है। निकायों में प्रशासक नियुक्त होने से आमजन को कई दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। वहीं जनहित याचिका में कहा गया है कि सरकार को कोई अधिकार नहीं है कि वह निकायों का कार्यकाल समाप्त होने के बाद प्रशासक नियुक्त करे। प्रशासक तब नियुक्त किया जाता है जब किसी निकाय को भंग किया जाता है। उस स्थिति में भी सरकार को छह माह के भीतर चुनाव कराना आवश्यक होता है। इस समय प्रशासक नियुक्त किया जाना संविधान के विरुद्ध है…वहीं सरकार का कहना है कि वह हाईकोर्ट के आदेश का अनुपालन करते हुए निकाय चुनाव कराने के लिए तैयार है जबकि विपक्ष का तर्क है कि सरकार हार के डर से निकाय चुनाव से भाग रही है
राज्य में निकाय चुनाव पर मची रार थम नहीं रही है। राज्य में निकाय चुनाव समय से ना होने पर विपक्ष के हंगामें के बीच अब कोर्ट ने भी सरकार की टेंशन बढ़ा दी है। बता दें कि नैनीताल हाईकोर्ट में राज्य में समय पर निकाय चुनाव न कराए जाने को लेकर दायर अलग अलग जनहित याचिकाओ पर सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान कोर्ट में पेश हुए अपर सचिव शहरी विकास नितिन भदौरिया ने कहा कि उत्तराखंड सरकार अगले छह माह में राज्य में नगर निकाय चुनाव करा लेगी। नितिन भदौरिया ने सरकार की ओर से कोर्ट को बताया कि निकायों के चुनाव कराने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। आरक्षण तय करने के लिए एक सदस्यीय न्यायिक कमीशन का गठन भी किया है। कोर्ट ने अपर सचिव के बयान रिकॉर्ड करने के बाद दोनों याचिकाओं को लंबित रखते हुए मामले की अगली सुनवाई के लिए 16 अप्रैल की तारीख तय कर दी है।
आपको बता दें कि उत्तराखंड में आठ नगर निगमों समेत 97 नगर निकाय में कार्यकाल खत्म होने पर प्रशासक नियुक्त कर दिए गए हैं। इन निकायों के अंतिम चुनाव वर्ष 2018 में हुए थे, जिनका पांच वर्ष का कार्यकाल एक दिसंबर 2023 को खत्म हो चुका है। बद्रीनाथ, केदारनाथ व गंगोत्री नगर पंचायतों में चुनाव नहीं होते। जबकि दो निकायों नगर निगम रुड़की और नगर पालिका परिषद बाजपुर के चुनाव बाद में होने के कारण उनका कार्यकाल अगले वर्ष खत्म होना है। वहीं जनहित याचिका में कहा गया है कि सरकार को कोई अधिकार नहीं है कि वह निकायों का कार्यकाल समाप्त होने के बाद प्रशासक नियुक्त करे। प्रशासक तब नियुक्त किया जाता है जब किसी निकाय को भंग किया जाता है। उस स्थिति में भी सरकार को छह माह के भीतर चुनाव कराना आवश्यक होता है। इस समय प्रशासक नियुक्त किया जाना संविधान के विरुद्ध है…वहीं सरकार का कहना है कि वह हाईकोर्ट के आदेश का अनुपालन करते हुए निकाय चुनाव कराने के लिए तैयार है जबकि विपक्ष का तर्क है कि सरकार हार के डर से निकाय चुनाव से भाग रही है
कुल मिलाकर लोकसभा चुनाव से पहले राज्य में निकाय चुनाव पर चल रही रार थम नहीं रही है। विपक्षी दलों के साथ ही कोर्ट ने भी अब सरकार से निकाय चुनाव में हो रही देरी पर जवाब मांगा जिसके बाद अब सरकार अगले छह माह में निकाय चुनाव कराने की बात कह रही है। इसके साथ ही राज्य सरकार के निकायों में प्रशासक नियुक्त करने के फैसले को भी असंवैधानिक बताया गया है। ऐसे में विपक्ष की ओर से सवाल उठाया लाजमी है ऐसे में देखना होगा कि क्या सरकार अगले छह महीने में निकाय चुनाव करा पाती है इसके साथ ही आखिर क्यों सरकार ने समय रहते निकाय चुनाव नहीं कराए ये भी बड़ा सवाल है