KNEWS DESK….बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती ने गुरूवार यानि कि 18 मई को लखनऊ ऑफिस में बैठक की|उन्होंने बैठक के दौरान आने वाले लोकसभा चुनाव में वापसी की रूपरेखा तैयार की है|मायावती ने गांव-गांव अभियान चलाने की बात कही है|निकाय चुनाव के नतीजों की परीक्षण और आने वाली लोकसभा चुनाव की तैयारियों को लेकर बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती पार्टी के छोटे – बड़े नेताओं के साथ बैठक कर रही है|
उत्तर प्रदेश में निकाय चुनाव के नतीजों से भारतीय जनता पार्टी के विपक्षों को धक्का लगा है|वैसे तो विरोधी कर्नाटक में भारतीय जनता पार्टी की हार को अपनी सफलता मान रहा है| कर्नाटक में कांग्रेस की जीत के बाद भारतीय जनता पार्टी के कई विपक्षों के रंग बदले हुए से नजर आ रहे हैं| कांग्रेस ने भी भारतीय जनता पार्टी के विपक्षों के प्रति नर्मी से पेश आना शुरू कर दिया है|
कर्नाटक में शपथ ग्रहण समारोह के लिए कांग्रेस ने यूपीए केअत्यधिक सहयोगियों को निमंत्रण भेजा है| समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव को भी कांग्रेस ने निमंत्रण भेजा गया है| लेकिन बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती को शपथ ग्रहण के लिए कांग्रेस द्वारा निमंत्रण नहीं भेजा गया है|एक तरफ समाजवादी पार्टी का कांग्रेस के साथ गठबंधन पर तमाम तरह का अनुमान लगाना शुरू हो गया है|वहीं दूसरी तरफ मायावती ने लखनऊ में बैठक कर गठबंधन का आदेश दिया है|
बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती ने पार्टी नेताओं के साथ बैठक में यह क्लियर कर दिया है, कि 2024 के लोकसभा चुनाव में किसी पार्टी के साथ गठबंधन नहीं करेगी|मायावती ने रिव्यू मीटिंग में पार्टी नेताओं और संगठन के लोगों को यह संदेश दिया है|मायावती ने कार्यकर्ताओं से अपील करते हुए कहा कि बहुजन समाज पार्टी के पास अपना कोर वोट है और उसी को मजबूत करें|
मायावती ने बैठक में कहा कि “कुल मिलाकर ‘वोट हमारा राज तुम्हारा’ के प्रचलित हालात को आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर बदलने के प्रयास को गांव-गांव तक और तेज करने की जरूरत है|” मायावती ने पार्टी की आर्थिक मजबूती पर ध्यान देने की भी बैठक में अपील की है| इसी के साथ बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमो ने बैठक में दूसरों का आकलन लेने के बाद जरूरी दिशा-निर्देश दिए हैं|मायावती ने कहा कि चुनाव में भाजपा और समाजवादी पार्टी ने साम दाम दंड भेद जैसे घिनौने हथकंडे अपनाए हैं|भाजपा ने सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग करते हुए दमन की कार्रवाई की है|
वैसे देखा जाए तो पहले अखिलेश यादव ने कांग्रेस के साथ गठबंधन के संकेत दिए है| इसके अतिरिक्त कांग्रेस ने भी समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव को निमंत्रण भेजकर अपना हाथ आगे बढ़ाया है|