मुख्यमंत्री भगवंत मान ने एक वीडियो लिंक के माध्यम से मादक पदार्थ तस्करी और राष्ट्रीय सुरक्षा पर आयोजित क्षेत्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए यह बात कही। उन्होंने स्पष्ट रूप से बताया कि पंजाब में 1 जनवरी 2025 तक मादक पदार्थ से जुड़े 35,000 मामले लंबित थे, और मौजूदा दर पर इन मामलों का निस्तारण करने में औसतन एक सत्र अदालत को 7 साल का समय लग रहा है।
पंजाब के लिए विशेष अदालतों की आवश्यकता
मुख्यमंत्री मान ने केंद्र से पंजाब में विशेष एनडीपीएस अदालतों के गठन और सरकारी अभियोजकों की भर्ती के लिए 10 साल की अवधि तक वित्तीय सहायता देने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि इस वित्तीय सहायता की राशि प्रति वर्ष 60 करोड़ रुपये होनी चाहिए। इससे राज्य में मादक पदार्थों से जुड़े मामलों का त्वरित निस्तारण संभव हो सकेगा, और इसके परिणामस्वरूप नशे की समस्या पर प्रभावी नियंत्रण पाया जा सकेगा।
पंजाब में नशे की लत एक गंभीर मुद्दा बन चुकी है, और मुख्यमंत्री मान का कहना है कि इसे नियंत्रित करने के लिए न्यायिक प्रणाली में सुधार और त्वरित न्याय की आवश्यकता है। उन्होंने यह भी कहा कि विशेष अदालतों के गठन से मादक पदार्थ से जुड़े मामलों में तेजी से सुनवाई हो सकेगी और आरोपियों को समय रहते सजा मिल सकेगी।
राष्ट्रीय सुरक्षा पर असर
मुख्यमंत्री मान ने मादक पदार्थों की तस्करी को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भी खतरा बताया और कहा कि यह न केवल पंजाब, बल्कि पूरे देश के लिए एक गंभीर समस्या बन चुकी है। उन्होंने केंद्र सरकार से आग्रह किया कि इस मामले में पंजाब को विशेष सहायता दी जाए ताकि राज्य में नशे के प्रभावों को कम किया जा सके।
पंजाब सरकार ने इस दिशा में कदम उठाए हैं, और मुख्यमंत्री भगवंत मान का कहना है कि यदि केंद्र सरकार ने उनकी मांगों को मान लिया, तो राज्य में नशे के खिलाफ लड़ाई को और मजबूत किया जा सकेगा।
आवश्यक वित्तीय सहायता से होगा सुधार
मुख्यमंत्री भगवंत मान ने यह भी कहा कि केंद्र सरकार से मिलने वाली वित्तीय सहायता न केवल न्यायिक व्यवस्था को मजबूत करेगी, बल्कि यह राज्य के अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने में भी मदद करेगी। विशेष अदालतों के गठन से नशे के मामलों के निस्तारण में तेजी आएगी और राज्य में कानून-व्यवस्था की स्थिति बेहतर होगी। मुख्यमंत्री की यह पहल पंजाब में मादक पदार्थों की समस्या से निपटने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकती है, और अगर केंद्र सरकार से अपेक्षित वित्तीय सहायता मिलती है, तो यह राज्य के लिए एक गेम चेंजर हो सकता है।
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