नितिन गडकरी ने ड्राइवरों के काम करने के घंटे तय करने के प्लान पर दी जानकारी, दुर्घटनाओं को रोकने के लिए किया जाएगा यह बदलाव

KNEWS DESK – केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने एक अहम घोषणा करते हुए कहा कि भारत सरकार भारी वाहनों के ड्राइवरों के काम करने के घंटों को नियंत्रित करने के लिए एक नया सिस्टम विकसित करने पर काम कर रही है। उनका मानना है कि ड्राइवरों को 12 घंटे से अधिक समय तक गाड़ी चलाने से उनकी सुरक्षा और काम की उत्पादकता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है, और इस समस्या को हल करने के लिए सरकार एक ठोस योजना पर काम कर रही है।

सरकार ट्रक ड्राइवरों के काम के घंटे तय करने के लिए लाएगी कानून: केंद्रीय  मंत्री नितिन गडकरी

ड्राइवरों के कार्य घंटों की निगरानी

आपको बता दें कि नितिन गडकरी ने हाल ही में जयपुर में हुए एक बड़े सड़क हादसे का उल्लेख करते हुए बताया कि जांच में यह सामने आया था कि हादसे का शिकार हुआ LPG टैंकर चालक 12 घंटे से भी अधिक समय तक गाड़ी चला रहा था। गडकरी ने इसे गंभीर चिंता का विषय बताते हुए कहा कि यह आम समस्या बन चुकी है, जहां ड्राइवरों को बहुत लंबे समय तक गाड़ी चलानी पड़ती है, जिससे थकान और दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ जाता है।

उन्होंने कहा कि विकसित देशों में ड्राइवरों के लिए काम के घंटे सीमित होते हैं। उदाहरण के तौर पर, अमेरिका और यूरोप के अधिकांश देशों में ड्राइवर को 8 घंटे से अधिक गाड़ी चलाने की अनुमति नहीं होती। गडकरी का मानना है कि भारत को भी इस मॉडल को अपनाना चाहिए और ड्राइवरों के काम के घंटे निर्धारित करने के लिए सख्त नियम बनाने चाहिए।

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ड्राइवर के काम करने के घंटों पर होगी निगरानी

गडकरी ने कहा कि सरकार इस मुद्दे को लेकर विभिन्न विकल्पों पर विचार कर रही है। इनमें से एक प्रमुख कदम होगा ड्राइवर के काम के घंटों को ट्रैक करने के लिए तकनीकी प्रणाली को लागू करना। इसके लिए ड्राइवरों के आधार कार्ड को एक प्रणाली में जोड़ा जा सकता है, जिससे यह ट्रैक किया जा सके कि ड्राइवर ने कितने घंटे तक गाड़ी चलाई है।

ड्राइवर को नींद से जगाने वाले अलार्म पर काम

नितिन गडकरी ने यह भी बताया कि सरकार ड्राइवरों की सुरक्षा को और बेहतर बनाने के लिए कई तकनीकी सुधारों पर काम कर रही है। इसके तहत सभी नए भारी वाहनों में ऑटोमेटेड इमरजेंसी ब्रेकिंग सिस्टम (AEB), इलेक्ट्रॉनिक स्टेबिलिटी कंट्रोल (ESC) और ड्राइवर को नींद आने पर चेतावनी देने वाले ऑडियो अलर्ट सिस्टम को अनिवार्य किया जाएगा। इस कदम से यह सुनिश्चित किया जा सकेगा कि ड्राइवर को थकान या नींद आने पर चेतावनी मिले और वह गाड़ी चलाने में गलती से कोई बड़ी दुर्घटना न कर बैठे।

व्हीकल लोकेशन ट्रैकिंग सिस्टम (VLTDS) की अनिवार्यता

सड़क परिवहन सचिव वी उमाशंकर ने भी इस विषय पर अपने विचार साझा करते हुए कहा कि सरकार ड्राइवरों के लंबे समय तक ड्राइविंग करने के घंटों को ट्रैक करने के लिए सभी वाणिज्यिक वाहनों में व्हीकल लोकेशन ट्रैकिंग डिवाइस (VLTDS) अनिवार्य करने पर काम कर रही है। इसके माध्यम से यह सुनिश्चित किया जाएगा कि वाहनों की गतिविधियों और ड्राइवर के काम के घंटों पर लगातार नजर रखी जा सके।

राज्यों की भूमिका

उमाशंकर ने यह भी बताया कि मोटर परिवहन कर्मचारी अधिनियम के तहत राज्यों को ड्राइवरों के काम करने की स्थिति और ड्राइविंग घंटों को अधिसूचित करने का अधिकार है, लेकिन उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि केवल कुछ राज्यों ने इस पर प्रभावी कदम उठाए हैं। सरकार का उद्देश्य सभी राज्यों को इस दिशा में सक्रिय रूप से कदम उठाने के लिए प्रेरित करना है ताकि पूरे देश में ड्राइवरों के काम के घंटों की निगरानी की जा सके और सड़क दुर्घटनाओं को रोका जा सके।

समग्र सुधार की दिशा में सरकार का प्रयास

नितिन गडकरी और वी उमाशंकर के बयान से यह स्पष्ट होता है कि सरकार सड़क सुरक्षा को लेकर बहुत गंभीर है और विभिन्न तकनीकी उपायों का इस्तेमाल करके दुर्घटनाओं को कम करने की दिशा में काम कर रही है। ड्राइवरों के लिए काम करने के घंटे तय करने, सुरक्षा उपकरणों को अनिवार्य करने, और नई तकनीक का इस्तेमाल करने से सड़क परिवहन में सुधार की उम्मीद जताई जा रही है।

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