संभल की रानी की बावड़ी का ASI ने किया प्राथमिक निरीक्षण, 170 साल पुरानी होने का अनुमान

KNEWS DESK-  उत्तर प्रदेश के संभल जिले के चंदौसी इलाके में स्थित ऐतिहासिक रानी की बावड़ी का आज आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (ASI) की दो सदस्यीय टीम ने प्राथमिक निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान टीम ने बावड़ी के आसपास के क्षेत्रों में खुदाई के काम को लेकर नगरपालिका प्रशासन को खास निर्देश दिए। ASI ने स्पष्ट रूप से कहा है कि जेसीबी का इस्तेमाल खुदाई में नहीं किया जाए और उस प्लॉट पर जेसीबी खड़ी भी न की जाए, ताकि बावड़ी को कोई नुकसान न पहुंचे।

बावड़ी के निरीक्षण में महत्वपूर्ण खुलासे

ASI की टीम ने बावड़ी की नपाई की, जिसमें दोनों गलियारों के बीच की दूरी लगभग 19 मीटर पाई गई। टीम ने बावड़ी की दीवारों का निरीक्षण करते हुए पाया कि बावड़ी का वर्तमान हिस्सा आधुनिक निर्माण प्रतीत होता है, जबकि इसके प्राचीन हिस्से को प्लास्टर से कोट किया गया है। बावड़ी में कुछ स्थानों पर प्लास्टर उखड़ा हुआ मिला, जिसका निरीक्षण और फोटोग्राफी की गई।

टीम ने बावड़ी के मूल निर्माण के इंटों का अध्ययन किया और इसके आधार पर यह अनुमान लगाया गया कि बावड़ी कम से कम 170 साल पुरानी है। इसके अलावा, रानी की बावड़ी में 20 से ज्यादा छोटे-बड़े आले भी मिले हैं, जो इसके ऐतिहासिक महत्व को और बढ़ाते हैं।

निर्माण में 150 साल पुरानी नक्काशियां

ASI की टीम ने बावड़ी की बाहरी दीवारों का भी निरीक्षण किया और पाया कि यहां 10 घुमावदार द्वार मौजूद हैं। इन द्वारों के साथ-साथ खंभों पर बनी नक्काशियां और आकृतियां भी 150 साल पुरानी प्रतीत होती हैं। इससे यह स्पष्ट हुआ कि बावड़ी में समय-समय पर कई तरह के निर्माण और सुधार किए गए हैं, जो इसके ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व को और बढ़ाते हैं।

आधुनिक निर्माण के संकेत

ASI के निरीक्षण में यह भी सामने आया कि बावड़ी पर कम से कम दो बार आधुनिक निर्माण हुए हैं, जो इसके पुराने स्वरूप में बदलाव की ओर इशारा करते हैं। इन निर्माणों के दौरान विभिन्न अपग्रेडेशन किए गए हैं, जिनसे बावड़ी की संरचना में कुछ परिवर्तन हुए हैं।

दिल्ली की उग्रसेन की बावड़ी से समानताएं

ASI की टीम के निरीक्षण के बाद एक और महत्वपूर्ण बात सामने आई। टीम का अनुमान है कि रानी की बावड़ी का निर्माण दिल्ली की उग्रसेन की बावड़ी से मेल खाता है, दोनों की संरचना में समानताएं पाई गई हैं। यह समानताएं इस बात की ओर इशारा करती हैं कि रानी की बावड़ी का ऐतिहासिक महत्व बहुत अधिक हो सकता है।

रानी की बावड़ी का निरीक्षण करने के बाद ASI की टीम ने इसे एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक धरोहर मानते हुए इसके संरक्षण की आवश्यकता को महसूस किया है। टीम ने नगरपालिका प्रशासन से अपील की है कि बावड़ी की खुदाई के दौरान इसे नुकसान न पहुंचे, और भविष्य में इस स्थल पर किए जाने वाले किसी भी निर्माण कार्य को ऐतिहासिक धरोहर के संरक्षण को ध्यान में रखते हुए ही किया जाए।

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