KNEWS DESK – हरिद्वार के ऐतिहासिक गुरुकुल कांगड़ी में स्वामी श्रद्धानंद के 99वें बलिदान दिवस पर एक भव्य 1100 कुंडीय यज्ञ का आयोजन किया गया। इस खास मौके पर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सी.आर. पाटिल, हरिद्वार के सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत, बॉलीवुड अभिनेता विवेक ओबेरॉय सहित कई प्रमुख हस्तियां उपस्थित थीं। स्वामी श्रद्धानंद की पुण्यतिथि पर आयोजित इस कार्यक्रम ने उनके योगदान और बलिदान को श्रद्धांजलि अर्पित करने का एक महत्वपूर्ण अवसर प्रदान किया।
सीएम धामी ने गुरुकुल कांगड़ी की भूमिका पर प्रकाश डाला
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने स्वामी श्रद्धानंद को नमन करते हुए कहा कि वह यहां आकर गर्व महसूस कर रहे हैं। उन्होंने गुरुकुल कांगड़ी को एक अद्भुत शिक्षण संस्थान बताते हुए कहा कि यह संस्थान न केवल सनातन धर्म की शिक्षा दे रहा है, बल्कि भारतीय संस्कृति और परंपरा का प्रचार भी कर रहा है। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा, “जो संस्थान सनातन परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं, उन्हें सरकार का पूरा सहयोग मिलना चाहिए।” उन्होंने स्वामी श्रद्धानंद के योगदान को अमूल्य बताया और उनकी शिक्षाओं और आदर्शों को हमेशा प्रेरणा देने वाला बताया।
सी.आर. पाटिल ने स्वामी श्रद्धानंद के बलिदान को याद किया
केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सी.आर. पाटिल ने अपने संबोधन में स्वामी श्रद्धानंद के बलिदान को याद करते हुए कहा कि उनका योगदान न केवल भारत, बल्कि पूरी दुनिया के लिए प्रेरणा स्रोत है। उन्होंने कहा, “स्वामी श्रद्धानंद का बलिदान देशवासियों के लिए एक अमूल्य धरोहर है।” पाटिल ने गुरुकुल कांगड़ी की भूमिका को महत्वपूर्ण बताते हुए विश्वास जताया कि यह संस्थान भविष्य में भी ऐसे देशभक्त और राष्ट्रसेवी तैयार करेगा, जो समाज में सकारात्मक बदलाव लाएंगे।
विवेक ओबेरॉय ने साझा की अपनी यादें
बॉलीवुड अभिनेता विवेक ओबेरॉय ने अपने संबोधन में कहा कि वह गुरुकुल कांगड़ी और स्वामी श्रद्धानंद के योगदान से गहरे प्रभावित हैं। उन्होंने कहा, “आज की पीढ़ी को यह जानना बेहद जरूरी है कि स्वामी श्रद्धानंद ने किस प्रकार भारतीय समाज को एकजुट करने और देशभक्ति को बढ़ावा देने के लिए अपना जीवन समर्पित किया।” विवेक ओबेरॉय ने यह भी बताया कि उनके दादा आर्य समाज से जुड़े थे और उनके माध्यम से उन्होंने हवन और सनातन परंपराओं के महत्व को समझा।
गुरुकुल कांगड़ी का ऐतिहासिक महत्व
गुरुकुल कांगड़ी की स्थापना 1902 में स्वामी श्रद्धानंद ने की थी और यह भारतीय शिक्षा प्रणाली का एक ऐतिहासिक प्रतीक है। यह संस्थान न केवल स्वामी श्रद्धानंद के आदर्शों का पालन करता है, बल्कि उनकी शिक्षाओं और उनके बलिदान की गाथा को जीवित रखता है। इस संस्थान से जुड़े लोग और यहां आयोजित होने वाले कार्यक्रम स्वामी श्रद्धानंद के विचारों और उनके योगदान को आगे बढ़ाने का प्रयास कर रहे हैं।