उत्तराखंड- उत्तराखंड में निकाय चुनाव का बिगुल बज गया है। सरकार की सिफारिश पर राज्य निर्वाचन आयोग ने आचार संहिता की अधिसूचना जारी की है। इसके साथ ही राज्य के निकाय क्षेत्रों में चुनाव की आदर्श आचार संहिता भी लागू कर दी गई है। बता दें कि निकायों में 27 दिसंबर से नामांकन प्रक्रिया शुरू होगी। जबकि 23 जनवरी को मतदान होगा। बैलेट पेपर से मतदान होगा। बता दें कि सौ नगर निकाय में चुनाव होंगे। वहीं निकाय चुनाव के ऐलान के साथ ही भाजपा-कांग्रेस ने जिताऊ प्रत्याशियों पर मंथन शुरू कर दिया है। वहीं कांग्रेस ने राज्य सरकार पर अपनी सुविधा के अनुसार आरक्षण में बदलाव का आरोप लगाया है। आपको बता दें कि राज्य के करीब 100 नगर निकायों के चुनाव साल 2018 में हुए थे जिनका पांच वर्ष का कार्यकाल एक दिसंबर 2023 को खत्म हो गया था। इसके बाद राज्य सरकार ने निकायों में प्रशासकों की तैनाती कर दी। वहीं प्रशासकों की तैनाती के करीब एक साल बाद अबजाकर सरकार ने निकाय चुनाव की घोषणा की है। ऐसे में सवाल ये है कि निकाय चुनाव को लेकर भाजपा-कांग्रेस की क्या तैयारी है और इस चुनावी दंगल में किसका पलड़ा भारी है?
सालभर के लंबे इंतजार के बाद उत्तराखंड में निकाय चुनाव का बिगुल बज गया है। राज्य निर्वाचन आयुक्त सुशील कुमार की ओर से निकाय चुनाव का कार्यक्रम जारी किया गया है। उन्होने उत्तराखंड राज्य के 11 नगर निगम, 43 नगर पालिका परिषद एवं 46 नगर पंचायतों के सामान्य निर्वाचन 2024 के लिए निर्धारित कार्यक्रम जारी करते हुए बताया कि 23 जनवरी को राज्य में मतदान होगा, जबकि 25 जनवरी को मतगणना की जाएगी। उन्होंने बताया कि निकाय चुनाव में कुल 30 लाख 83 हजार 500 मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे। वहीं निकाय चुनाव की घोषणा के बाद राजनीतिक दलों ने भी अपनी अपनी तैयारी तेज कर दी है।
आपको बता दें कि राज्य के करीब 100 नगर निकायों के चुनाव साल 2018 में हुए थे जिनका पांच वर्ष का कार्यकाल एक दिसंबर 2023 को खत्म हो गया था। इसके बाद राज्य सरकार ने निकायों में प्रशासकों की तैनाती कर दी। वहीं प्रशासकों की तैनाती के करीब एक साल बाद निकाय चुनाव की घोषणा की गई है। वहीं राज्य निर्वाचन आयोग की ओर से चुनाव की घोषणा करने के साथ ही भाजपा-कांग्रेस समेत तमाम राजनीतिक दलों ने जिताऊ प्रत्याशियों पर मंथन शुरू कर दिया है।
कुल मिलाकर उत्तराखंड में निकाय चुनाव का बिगुल बज गया है। राज्य में 2027 में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले इसे सेमिफाईनल के तौर पर देखा जा रहा है। वहीं सत्ताधारी दल यानि की भाजपा हाल ही में हुए केदारनाथ विधानसभा उपचुनाव में मिली जीत से काफी उत्साहित दिख रही है। हालांकि कांग्रेस भी जीत को लेकर काफी आश्वस्त दिख रही है। ऐसे में सवाल ये है कि केदारनाथ में मिली हार के बाद कांग्रेसी कार्यकर्ता निकाय चुनाव के लिए कितने तैयार है? आखिर भाजपा अपने असंतुष्ट नेताओँ को कैसे मनाएगी? देखना होगा 25 जनवरी को निकाय चुनाव के क्या कुछ परिणाम सामने आते हैं?
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