KNEWS DESK – केंद्र सरकार ने हाल ही में चुनाव नियमों में बदलाव करते हुए सीसीटीवी कैमरा फुटेज, वेबकास्टिंग और उम्मीदवारों की वीडियो रिकॉर्डिंग जैसे कुछ इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेजों के सार्वजनिक निरीक्षण पर रोक लगा दी है। इस बदलाव को लेकर कांग्रेस ने केंद्र सरकार पर जमकर निशाना साधा है, और इसे भारतीय चुनाव आयोग की संस्थागत अखंडता को कमजोर करने की साजिश करार दिया है।
लोकतंत्र और संविधान पर हमला
आपको बता दें कि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने केंद्र सरकार के इस कदम पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि यह बदलाव चुनाव आयोग की स्वतंत्रता और ईमानदारी को खत्म करने के उद्देश्य से किया गया है। खरगे ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा कि यह बदलाव मोदी सरकार की सुनियोजित साजिश का हिस्सा है, जो चुनाव आयोग की संस्थागत अखंडता को नष्ट करना चाहती है। उन्होंने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग को जानबूझकर कमजोर किया जा रहा है ताकि सरकार अपने राजनीतिक उद्देश्यों को पूरा कर सके।
खरगे ने यह भी आरोप लगाया कि जब कांग्रेस ने चुनाव आयोग द्वारा मतदाताओं के नाम काटने और ईवीएम में पारदर्शिता की कमी जैसी अनियमितताओं की शिकायत की, तो आयोग ने हमेशा अपमानजनक तरीके से जवाब दिया। उनका कहना था कि चुनाव आयोग भले ही एक अर्ध-न्यायिक निकाय है, लेकिन स्वतंत्र रूप से कार्य नहीं कर रहा है।
कांग्रेस का कानूनी चुनौती देने का ऐलान
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने भी इस फैसले को लेकर अपनी चिंता व्यक्त की और कहा कि पार्टी इस संशोधन को कानूनी रूप से चुनौती देगी। इसके अलावा, कांग्रेस महासचिव (संगठन) केसी वेणुगोपाल ने चुनाव आयोग के कार्यों पर सवाल उठाते हुए कहा कि आयोग ने अब तक अपने कार्य में अस्पष्टता और सरकार समर्थक रवैया अपनाया है।
केंद्र सरकार का निर्णय
केंद्र सरकार के इस फैसले के अनुसार, चुनाव आयोग द्वारा संचालित नियम 93 में संशोधन किया गया है, जिससे चुनाव से संबंधित कुछ दस्तावेजों को अब सार्वजनिक निरीक्षण के लिए उपलब्ध नहीं कराया जाएगा। इस संशोधन का उद्देश्य उम्मीदवारों की सीसीटीवी फुटेज, वेबकास्टिंग और वीडियो रिकॉर्डिंग जैसे इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेजों का दुरुपयोग रोकना है। यह बदलाव चुनाव आयोग की सिफारिश पर किया गया है, और इसका आधार एक अदालती मामला रहा है।
संशोधन के तहत, चुनाव से संबंधित ‘कागजात’ जैसे नामांकन फॉर्म, चुनाव एजेंटों की नियुक्ति और चुनाव खाता विवरण आदि को सार्वजनिक निरीक्षण के लिए खोला जाएगा, लेकिन इन नियमों में इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेजों को शामिल नहीं किया गया है।
साजिश के तहत किया गया बदलाव
कांग्रेस का कहना है कि केंद्र सरकार का यह कदम चुनाव आयोग की स्वतंत्रता और पारदर्शिता को खत्म करने की दिशा में एक और प्रयास है। पार्टी ने यह भी कहा कि यह बदलाव सरकार द्वारा चुनावी प्रक्रिया में दखल देने की साजिश का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य लोकतंत्र को कमजोर करना है।