KNEWS DESK- पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने गुरुवार (19 सितंबर) को केंद्र सरकार से आग्रह किया कि वह अपनी “हठ” छोड़कर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी की मांग कर रहे किसानों के साथ संवाद शुरू करे। सीएम मान ने यह भी कहा कि केंद्र सरकार का यह कर्तव्य है कि वह किसानों से संवाद करे, क्योंकि किसी भी विवाद या समस्या का हल केवल बातचीत के माध्यम से ही निकाला जा सकता है।
मुख्यमंत्री ने ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट में कहा, “किसानों से बात करना केंद्र सरकार का कर्तव्य है। किसी भी मुद्दे का समाधान केवल बातचीत के जरिए ही हो सकता है। केंद्र सरकार को अपनी हठ छोड़ देनी चाहिए।” उनका यह बयान उस समय आया है जब पंजाब और हरियाणा के किसान लंबे समय से एमएसपी की कानूनी गारंटी की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं।
किसानों का आंदोलन और उनकी लगातार मांगें
केंद्र के खिलाफ किसान संगठनों का यह आंदोलन 13 फरवरी से पंजाब और हरियाणा के शंभू तथा खनौरी बॉर्डर पर जारी है। किसान संगठन, जैसे कि संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा, एमएसपी की कानूनी गारंटी की मांग को लेकर डटे हुए हैं। किसानों के अनुसार, उनकी जायज मांगों को अनदेखा किया जा रहा है और सरकार पर दबाव बनाने के लिए उन्होंने विरोध प्रदर्शन तेज कर दिए हैं।
किसान नेताओं का कहना है कि एमएसपी की कानूनी गारंटी ना होने की वजह से किसानों को फसल के उचित मूल्य के लिए संघर्ष करना पड़ता है। उनका यह भी कहना है कि कृषि क्षेत्र में अनिश्चितता के कारण किसान आर्थिक संकट का सामना कर रहे हैं।
तीन बार पैदल दिल्ली कूच करने का प्रयास
जगजीत सिंह डल्लेवाल, जो पंजाब के प्रमुख किसान नेता हैं, 26 नवंबर से खनौरी बॉर्डर पर भूख हड़ताल पर बैठे हैं। उनका उद्देश्य केंद्र सरकार पर दबाव बनाना है कि वह किसानों की मांगों को स्वीकार करे और उनके आंदोलन का समाधान निकाले।
इसके अलावा, 6 से 14 दिसंबर के बीच 101 किसानों का एक जत्था तीन बार पैदल दिल्ली कूच करने का प्रयास कर चुका है, लेकिन हरियाणा के सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें हर बार रास्ते में रोक लिया। किसान नेता डल्लेवाल का कहना है कि उनकी आवाज़ को दबाने की बजाय सरकार को उनकी जायज मांगों पर विचार करना चाहिए।
मुख्यमंत्री मान का बयान और किसानों के प्रति समर्थन
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने अपने बयान में साफ तौर पर कहा कि यह केंद्र सरकार की जिम्मेदारी है कि वह किसानों के साथ संवाद स्थापित करे। उनका कहना था, “किसान हमारे समाज के अन्नदाता हैं और उनकी समस्याओं का समाधान बिना बातचीत के नहीं हो सकता। केंद्र सरकार को अपनी हठ छोड़कर किसानों की समस्याओं पर गौर करना चाहिए।”
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि पंजाब सरकार किसानों के अधिकारों की रक्षा के लिए हमेशा उनके साथ खड़ी रहेगी और वह अपने स्तर पर पूरी कोशिश करेंगे कि किसानों को उनका हक मिले।
केंद्र और किसान संगठन के बीच बढ़ते तनाव
केंद्र सरकार और किसानों के बीच एमएसपी की कानूनी गारंटी और अन्य कृषि नीतियों को लेकर तनाव बढ़ता जा रहा है। किसान नेताओं का कहना है कि सरकार ने कृषि कानूनों के विरोध के दौरान उनकी चिंताओं को अनदेखा किया था और अब भी उनकी मांगों को हल करने में नाकाम है।
वहीं, केंद्र सरकार का कहना है कि वह किसानों के हित में काम कर रही है और किसानों की समस्याओं का समाधान निकालने के लिए काम कर रही है। लेकिन किसान संगठन केंद्र की नीतियों से संतुष्ट नहीं हैं और उनकी आंदोलन की रणनीतियों में तेजी आती जा रही है।
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